दबदबा तो है दबदबा तो रहेगा, ये तो भगवान ने दे रखा है. . . . बृजभूषण शरण सिंह के घर के बाहर लगे पोस्टर

नई दिल्ली। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) का नया अध्यक्ष संजय सिंह को चुना गया है। वह पूर्व अध्यक्ष और खिलाड़ियों के यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के करीबी हैं। संजय सिंह के अध्यक्ष चुने जाने के बाद बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन करने वाले पहलवानों ने नाराजगी व्यक्त की है। वहीं ओलंपिक मेडलिस्ट पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया है।

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन वाले पैनल के डब्ल्यूएफआई चुनाव में शानदार जीत हासिल की है। बृजभूषण के करीबी संजय सिंह ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद के चुनाव में अपनी प्रतिद्वंदी अनीता श्योराण को शिकस्त दी।

शानदार जीत के बाद जहां बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण सिंह ने एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की तो वहीं अब बृजभूषण शरण सिंह के घर के बाहर पोस्टर लग गए हैं जिनमें लिखा है- 'दबदबा तो है दबदबा तो रहेगा। ये तो भगवान ने दे रखा है।'

चुनाव के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने दावा किया कि दबदबा तो रहेगा। बृजभूषण ने कहा, 'मैं इस जीत का श्रेय देश के पहलवानों और WFI के सचिव को देना चाहता हूं और मुझे उम्मीद है कि नई फेडरेशन के गठन के बाद कुश्ती प्रतियोगिताएं फिर से शुरू होंगी। बृज भूषण ने आगे कहा, 'एक संदेश दिया गया है। देश का हर अखाड़ा पटाखे फोड़ रहा है। दबाब था, दबाब रहेगा! मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं। साथ ही चुनाव सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुए थे... केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ा कि चुनाव हो और एक गैर-पक्षपाती व्यक्ति को अध्यक्ष चुना जाए।'

अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, महासचिव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष सहित 15 पदों के लिए चुनाव हुए। ओलंपियन बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट के नेतृत्व में पहलवानों के एक समूह द्वारा लंबे आंदोलन के बाद WFI के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह को पद से हटा दिया गया था। पुनिया और मलिक ने हाल ही में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की थी और बृजभूषण के सहयोगी को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने से रोकने के तरीके मांगे थे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।


बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, 'कुश्ती पर 11 महीने का यह 'ग्रहण' खत्म हो गया है। 10 दिनों के भीतर, कुश्ती का परिदृश्य फिर से बदल जाएगा और हम ओलंपिक में वैसा ही प्रदर्शन करेंगे जैसा लोग चाहते हैं।' राष्ट्रमंडल खेलों की गोल्ड मेडलिस्ट अनीता श्योरण को 47 में से 40 वोटों को हासिल कर संजय सिंह की जीत ने विवाद खड़ा कर दिया है।

अनिता का पैनल हालांकि महासचिव पद अपने नाम करने में सफल रहा जब प्रेम चंद लोचब ने दर्शन लाल को हराया। रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड के पूर्व सचिव लोचब ने 27-19 से जीत दर्ज की। राष्ट्रीय राजमार्ग पर ‘फूड ज्वाइंट्स की चेन’ चलाने वाले और प्रदर्शनकारी पहलवानों के करीबी माने जाने वाले देवेंद्र सिंह कादियान ने आईडी नानावटी को 32-15 से हराकर वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया।

वाराणसी कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं संजय सिंह

संजय सिंह मूल रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के रहने वाले हैं। इस समय वो वाराणसी में अपने परिवार के साथ रहते हैं। संजय सिंह बबलू पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से कुश्ती संघ से जुड़े हैं और बृजभूषण शरण सिंह के काफी नजदीकी माने जाते हैं। वो 2008 से ही वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष हैं। संजय सिंह बबलू का 2009 में प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष के रूप में चयन हुआ था।

कौन हैं अनीता श्योराण?

अनीता श्योराण को बृजभूषण शरण सिंह का विरोधी माना जाता है। वह हरियाणा के भिवानी जिले की रहने वाली हैं। अनीता ने पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में भी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ भी गवाही दी थी। अनीता कुश्ती के मैदान में भी बड़ी सफलता हासिल कर चुकी हैं, उन्होंने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। अगर अनीता श्योराण ये चुनाव जीततीं, तो वो पहली महिला पहलवान होतीं। दरअसल WFI की जड़ें पुरुष अखाड़ों से ही जुड़ी हुई हैं, इसी वजह से शीर्ष पदों पर पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है।