गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण करने के बाद जब सभी भाई
हस्तिनापुर आए तब उन्हें अपनी कला का प्रदर्शन करने लिए उनके लिए एक सभा का आयोजन
किया गया था, जिसमे कर्ण अर्जुन के आगे आकर खड़े हो गए और उन्होंने कहा वो
अर्जुन से बेहतर हैं, तब दुर्योधन ने भी उनका साथ दिया और उन्हें अपने अंग देश का राजा बना दिया| कर्ण ने भी अपनी दोस्ती के वचन से बद्ध होकर समय आने पर दुर्योधन को अपनी जान तक दे देना का वादा किया|