आजादी के 75 साल बाद भी दिख रहा मूलभूत सुविधाओं का अभाव, डंडों पर कुर्सी बांध गर्भवती को ले जाया गया, सड़क पर ही हो गई डिलीवरी

यह साल हम आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मन रहे हैं लेकिन आज भी देश के कई हिस्से ऐसे हैं जहां लके लोगों को मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव हैं जो उनकी जान पर आफत बनता हैं। इसका एक नजारा देखने को मिला हिमाचल के कुल्लू जिले की सैंज घाटी में जहां एक गर्भवती महिला को सड़क तक पहुंचाने के लिए भी लोगों को डंडों पर कुर्सी बांध उसे उठा आठ किलोमीटर दूर चलना पड़ा जिसमें 6 घंटे लग गए। प्रसव पीड़ा अधिक होने के चलते प्रसव सड़क पर ही करवाना पड़ा। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को उप स्वास्थ्य केंद्र सैंज ले जाया गया, जहां दोनों का स्वास्थ्य ठीक है।

मामला घाटी की ग्राम पंचायत गाड़ापारली का हैं जहां पंचायत के मेल गांव की गर्भवती महिला मथुरा देवी को परेशानियों से जूझना पड़ा। ग्राम पंचायत प्रधान यमुना देवी ने कहा कि सोमवार को मथुरा देवी को प्रसव पीड़ा होने पर डंडों पर उठाकर उपचार के लिए ले जाना पड़ा है। प्रशासन और सरकार से सड़क के निर्माण की मांग की जाती रही है लेकिन स्थिति जस की तस है। उन्होंने कहा कि पिछले ढाई हफ्तों में तीन महिलाओं को उपचार के लिए उठाकर ले जाना पड़ा है।

गौरतलब है कि सड़क सुविधा न होने की वजह से ग्राम पंचायत गाड़ापारली की जनता की परेशानियां बढ़ती ही जा रही हैं। ग्रामीणों को राशन से लेकर निर्माण संबंधी आवश्यक सामग्री पीठ पर उठाकर पैदल 8 से 15 किलोमीटर सफर करना पड़ता है। सबसे अधिक समस्या ग्रामीणों को किसी के बीमार होने पर आती है। ऊबड़-खाबड़ और फिसलन भरे रास्तों पर मरीज को सड़क तक पहुंचाना ग्रामीणों के लिए परेशानी बन जाता है।