हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला को 26 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात कराने की अनुमति प्रदान कर दी। सुप्रीम न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि कोलकाता में एसएसकेएम अस्पताल में इस गर्भ के समापन की प्रक्रिया 'तुरंत' की जानी चाहिए, क्योंकि उस महिला के गर्भ में पल रहा भ्रूण दिल की गंभीर बीमारियों से ग्रसित है।
अदालत ने यह फैसला अस्पताल की रिपोर्ट जिसमे गर्भपात की सलाह देते हुए कहा गया था कि गर्भावस्था जारी रखने से मां को 'गंभीर मानसिक आघात ' पहुंच सकता है और बच्चे ने, यदि जीवित जन्म लिया, तो उसे दिल की बीमारियों के लिए अनेक सर्जरी प्रक्रियाओं से गुजरना होगा, को देख कर दिया।