चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का बड़ा ऐलान, कहा- जगह खाली कर रहा हूं, अब नहीं बनाऊंगा चुनावी रणनीति

पश्चिम बंगाल से सामने आए रुझानों में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) को 200 से अधिक सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं बीजेपी 100 से नीचे सिमटती दिख रही है। बंगाल चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा 200 पार सीटों का दावा करती रही। जवाब में तृणमूल के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा था कि अगर भाजपा डबल डिजिट क्रॉस कर गई तो मैं अपना काम ही छोड़ दूंगा। चुनावी नतीजे प्रशांत को सही साबित कर रहे हैं। भाजपा बंगाल में 99 के पार तो नहीं जा रही। बंगाल में ममता बनर्जी और और तमिलनाडु में एमके स्टालिन को जीत दिलाने के दावे पर खरे उतरने के बाद भी प्रशांत ने एक टीवी इंटरव्यू में यह कहकर चौंका दिया कि अब वो चुनावी रणनीतिकार का काम नहीं करेंगे।

एनडीटीवी को दिए इंटरव्‍यू में उन्‍होंने साफतौर पर कहा है कि वह अब यह जगह खाली कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब वह भविष्‍य में चुनावी रणनीति बनाने का काम नहीं करेंगे। प्रशांत किशोर ने कहा, 'मैं जो कर रहा हूं, अब मैं वो काम नहीं करना चाहता। मैंने बहुत कुछ किया है। अब मेरे लिए थोड़ा आराम करने का वक्‍त आ गया है और जीवन में कुछ और काम करने का भी। मैं अब यह जगह खाली करना चाहता हूं।'

जब उनसे पूछा गया कि क्या अब वे राजनीति में आने की तैयारी में हैं तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे एक विफल पॉलिटिशियन साबित हुए हैं। अब वे आगे क्या करेंगे, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा। हालांकि, मजाकिया लहजे में उन्होंने कहा कि हो सकता है कि वे अपनी फैमिली के साथ असम में जाकर एक टी गार्डन चलाएं।

प्रशांत किशोर ने इस बार पश्चिम बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी। प्रशांत किशोर का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की रैलियों में भी बहुत ज्‍यादा भीड़ आती थी। इसके बावजूद वह 18 सीटें हारी थीं। भीड़ का मतलब सिर्फ वोट नहीं होता है। राज्‍य में बीजेपी ने भी 40 रैलियां की थीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि टीएमसी हार जाएगी।

बंगाल चुनाव के दौरान एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा था कि ‘जो भी काम करो, सर्वश्रेष्ठ बन कर करो। अगर मैं स्किल, मैथोडॉलोजी और फैक्ट के इस्तेमाल के बाद भी जीत न दिला सकूं तो मुझे नैतिक रूप से यह काम नहीं करना चाहिए। ऐसा भी नहीं है कि मुझे जीवनभर यही काम करना है। कोई दूसरा काम नहीं करना है। मेरे बाद भी यह काम होता रहेगा। मैंने अपने सहयोगियों को इन सारी संभावनाओं के बारे में पहले से बता दिया है। अगर मुझे यह महसूस हुआ कि मैं इस काम में नंबर-1 नहीं हूं तो मुझे यह काम छोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है। मैं दूसरे के लिए जगह खाली कर दूंगा।’

वहीं समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार प्रशांत किशोर ने ‘इंडिया टुडे’ से कहा कि 'बीजेपी को धर्म का इस्तेमाल करने देने से लेकर मतदान कार्यक्रमों और नियमों में ढील देने तक, चुनाव आयोग ने भगवा पार्टी की सहायता करने के लिए सब कुछ किया। इस तरह का पक्षपाती निर्वाचन आयोग कभी नहीं देखा, उसने भाजपा की मदद के लिए तमाम कदम उठाए।'

आपको बता दे, 44 साल के प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के रोहतास जिले के गांव कोनार से ताल्लुक रखते हैं। बाद में उनका परिवार यूपी-बिहार बॉर्डर से सटे बक्सर जिला में शिफ्ट हो गया। उनके पिता पेशे से डॉक्टर थे। बिहार में शुरुआती पढ़ाई के बाद प्रशांत ने हैदराबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट के तौर पर करियर शुरू करने से पहले प्रशांत यूनिसेफ में जॉब करते थे और उन्हें इसकी ब्रांडिंग की जिम्मेदारी मिली थी। वो 8 सालों तक यूनाइटेड नेशंस से भी जुड़े रहे और अफ्रीका में यूएन के एक मिशन के चीफ भी रहे।