पश्चिम बंगाल : हंगामेदार रहा विधानसभा के बजट सत्र का पहला दिन, अभिभाषण भी नहीं पढ़ सके राज्यपाल

पश्चिम बंगाल में राजनीति के कारण पैदा हुई गर्मी ठंडी होने का नाम नहीं ले रही है। मार्च-अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच कई बार हिंसक झड़प हुई। यहां तक की कइयों की जान भी चली गई। मई में नतीजे एक बार फिर टीएमसी के पक्ष में गए और ममता बनर्जी ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि सियासी तौर पर इसके बाद भी माहौल में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। हिंसा जारी रही। शुक्रवार को भी राज्य विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन जमकर हंगामा हुआ। हालात इतने बिगड़े कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ अभिभाषण पढ़े बिना ही वापस चले गए। 5 मिनट में ही विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।


भाजपा के विधायकों ने सदन से किया वॉकआउट

राज्यपाल के अभिभाषण के साथ सत्र का आगाज होना था, पर जैसे ही शुरुआत हुई भाजपा के कई विधायक हंगामा करने लगे। ऐसे में राज्यपाल ने साफ कर दिया कि वे सरकार की लिखी हुई सभी चीजें सदन में नहीं बोलेंगे। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, भाजपा के विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। सूबे में चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर उन्होंने राज्यपाल के संबोधन के दौरान हंगामा किया। साथ ही इस दौरान जय श्री राम के नारे भी लगाए। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राज्यपाल को विरोध के चलते अपने संबोधन को छोटा करना पड़ा। भाजपा ने आरोप लगाया कि ममता सरकार के कारण राज्यपाल के भाषण में चुनाव के बाद पनपी हिंसा का जिक्र नहीं किया गया।


मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच अच्छे नहीं हैं संबंध!

परंपरानुसार किसी भी विधानसभा में बजट सत्र राज्यपाल के अभिभाषण से ही शुरू होता है। इसमें सरकार के काम-काज का ब्यौरा होता है। साथ ही सरकार की अहम योजनाओं की जानकारी भी दी जाती है। राज्यपाल सरकार की तरफ से तैयार किए गए अभिभाषण को पढ़कर सुनाते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले काफी समय से सीएम और राज्यपाल के बीच तनातनी चल रही है जो उनके बयानों से साफ जाहिर होता है। इस बीच चुनाव से पहले टीएमसी से भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि चुनाव बाद हुई हिंसा सूबे में बड़ा मुद्दा है। यह लड़ाई अंत तक जारी रहेगी। शुभेंदु ने ममता के गढ़ और चर्चित नंदीग्राम सीट से हराया था।