तिरुवनंतपुरम। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शुक्रवार को कहा कि वायनाड में हुए विनाशकारी भूस्खलन में जीवित बचे लोगों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए केरल में एक मानसिक स्वास्थ्य आपदा प्रबंधन टीम का गठन किया गया है। इस आपदा में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई और लगभग इतने ही लोग अभी भी लापता हैं।
जॉर्ज ने कहा कि केरल के पहाड़ी जिले में आपदा आने के तुरंत बाद मंगलवार को मनोचिकित्सकों, नैदानिक मनोवैज्ञानिकों, मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ताओं और परामर्शदाताओं की 121 सदस्यीय टीम का गठन किया गया था।
उन्होंने कहा कि केवल स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए पहचान पत्र वाले विशेष दल के सदस्यों को ही राहत शिविरों में बचे लोगों और विभिन्न अस्पतालों में भर्ती लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी। टीम ने सभी अस्पतालों और राहत शिविरों में सहायता डेस्क स्थापित किए हैं।
मंत्री ने एक विज्ञप्ति में कहा, मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता बचे लोगों की चिंताओं को सुनेंगे और उन्हें सांत्वना देंगे। बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि आपदा के कारण होने वाले अवसाद और चिंता पर दीर्घकालिक ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है।
टीम उन लोगों की भी पहचान करेगी जिन्हें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं और यह सुनिश्चित करेगी कि उनका उपचार बाधित न हो। विज्ञप्ति में कहा गया है कि शराब या नशीली दवाओं की लत के कारण वापसी के लक्षणों वाले लोगों की भी पहचान की गई है और उनका उपचार किया गया है।
टीम स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस, राजस्व अधिकारियों, स्थानीय स्व-विभाग के अधिकारियों और अन्य लोगों सहित बचाव कर्मियों को परामर्श भी प्रदान कर रही है, जो आपदा के भयावह परिणामों से निपट रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि 24 घंटे के टोल-फ्री नंबर '14416' के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सहायता भी उपलब्ध है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, तीन दिन पहले वायनाड जिले में हुए भीषण भूस्खलन में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
कई लोग लापता हैं और बचावकर्मी प्रतिकूल परिस्थितियों, जिसमें जलभराव वाली मिट्टी भी शामिल है, से जूझ रहे हैं, क्योंकि वे नष्ट हो चुके घरों और इमारतों में जीवित बचे लोगों या शवों की तलाश कर रहे हैं।