इशारों-इशारों में वसुन्धरा राजे ने कह दी पार्टी के बड़े नेताओं को ये बड़ी बात

उदयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शुक्रवार को एक दिवसीय दौरे पर उदयपुर पहुंची। राजे ने सलूम्बर विधायक अमृतलाल मीणा के घर पहुंचकर शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना बंधाई। उन्होंने कहा है कि आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले, उनके उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले एक लोकप्रिय नेता के निधन से भाजपा को बड़ी क्षति हुई है। इससे पहले पूर्व सीएम राजे ने ऋषभदेव मंदिर में जैन संत आचार्य पुलक सागर महाराज के ज्ञान गंगा महोत्सव को संबोधित किया।

महोत्सव में राजे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को आगे बढ़ाते हुए, सभी लोग भारत के विकास में अपना योगदान दें।

इस सम्बोधन में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक बार फिर इशारों ही इशारों में अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को बहुत बड़ी बात कही दी। राजे ने कार्यक्रम के दौरान दो पंक्तियाँ बोली, ''काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाए, घमंड चूर-चूर हो जाए''। इस बयान के बाद पार्टी के सियासी हलकों में एक बार फिर हलचल मच गई है।

पूर्व सीएम के इस सम्बोधन के शब्दों को लेकर प्रदेश में सियासी चर्चाएं शुरू हो गई है। किसका अहम डूबना चाहिए, किसके किससे मतभेद हैं, कौन घमंड कर रहा है, किसका गुस्सा किसके लिए पहाड़ जैसा है, कौन किससे नफरत कर रहा है। इन सवालों का जवाब किसी दूसरे के पास नहीं है, लेकिन लोगों में इस बात को लेकर चर्चा जरूर शुरू हो गई।

इतना ही नहीं पूर्व सीएम वसुन्धरा राजे ने कहा कि जैन धर्म का मूल सिद्धांत है, हिंसा रहित जीवन, लेकिन हिंसा की परिभाषा सिर्फ़ हथियार से हिंसा करना या किसी को मारना-पीटना ही नहीं, किसी का दिल दुखाना, किसी का दिल तोड़ना, किसी की आत्मा को सताना भी है। उन्होंने ये भी कहा कि राजनीति में सबसे बड़ी धन दौलत जनता का प्यार है, जो उन्हें निरंतर मिल रहा है।

पूर्व सीएम ने कहा कि जैन धर्म का सिद्धांत जीओ और जीने दो है, लेकिन कई लोगों ने इसे उलट दिया है। जीओ और जीने मत दो। यानी खुद तो जीओ, लेकिन दूसरों को जीने मत दो। ऐसा करने वाले भले ही थोड़े समय खुश हो जाये,पर वे हमेशा सुखी नहीं रह सकते, क्योंकि जैसा बोओगे-वैसा काटोगे।

पूर्व सीएम राजे के इन बयानों को लेकर कार्यकर्ताओं और नेताओं में जबरदस्त चर्चा शुरू हो गई है। धर्मसभा में सम्बोधन था, लेकिन पूर्व सीएम ने राजनीति से भी इसे जोड़ दिया। इसके बाद पार्टी के अंदरखाने चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि पूर्व सीएम ने इशारों ही इशारों में किस पर यह कटाक्ष किए हैं, या फिर राजे का दर्द छलक कर बाहर आया है। खैर जो भी हो, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने लोकसभा चुनाव के बाद यह दूसरा मौका है जब इस तरह सार्वजनिक रूप से शब्दों के जरिए पहेलियां बुझाई हैं।