उत्तर प्रदेश: कागजों पर चल रहे मदरसों की जांच करेगी SIT, शक के घेरे में 400 मदरसा

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और आजमगढ़ के करीब 400 मदरसों की विशेष जांच दल (SIT) जांच करेगा। जानकारी के अनुसार जिन 400 मदरसों की जांच की तैयारी है, उनमें से 250 मदरसे आजमगढ़ के हैं। दरअसल कुछ समय से लगातार जांच के दौरान इन जिलों में कई मदरसों में वित्तीय अनियमितताओं और गड़बड़ियों के मामले सामने आए। एसआईटी ने तैयारी की है कि हर मदरसे की भौतिक जांच की जाएगी। यही नहीं यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों और छात्रो का भी पुलिस थाना स्तर से सत्यापन कराया जाएगा। केंद्र सरकार का मानना है कि इनमें से कई मदरसे कागज़ पर चल रहे है। यही नहीं कई मदरसों में शिक्षकों की भर्ती में घपला किया गया है। मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भी गड़बड़ी सामने आई है। कई मामलों में मदरसे, शिक्षक और छात्रों के स्थान पर न होने की शिकायत है। एसआईटी अब मदरसों की ज़मीनी हकीकत तलाशेगी। एक आरटीआई से इस घपले का खुलासा हुआ है। इसके अलावा शिक्षकों के दस्तावेज की भी सत्यता जांची जाएगी।

दरअसल, मिर्जापुर में एक आरटीआई अर्जी से पता चला कि वहां 14 मदरसे अवैध तरीके से चल रहे हैं। यहां न तो कोई भवन है, न प्रबंधन यही नहीं ये मदरसे केंद्र और राज्य सरकार से करोड़ों का अनुदान भी लेते पाए गए। इन मदरसों शिक्षकों के नाम पर लाखों रुपए हर महीने मानदेय का भी लिया जा रहा था।

मदरसों में अब फ्री नहीं होगी पढ़ाई

उधर, मदरसा शिक्षा परिषद ने मदरसों के लिए शुल्क निर्धारण की प्रक्रिया तय कर दी है। अब मदरसों में निशुल्क पढ़ाई नहीं होगी। शुल्क लगाने से गोरखपुर के 30 हजार छात्र और अभिभावक प्रभावित होंगे। मदरसा शिक्षा परिषद ने आश्वस्त किया है कि शुल्क अन्य निजी विद्यालयों की अपेक्षा कम ही लिया जाएगा। आपको बता दे, गोरखपुर में दस अनुदानित और दौ सौ मान्यता प्राप्त व गैर अनुदानित मदरसे हैं जिनमें तकरीबन 32,000 से ज्यादा बच्चे बढ़ते हैं। अब तक मदरसे लोगों से मिलने वाले चंदे से चलते हैं। पढऩे वाले बच्चों से किसी तरह ही फीस नहीं ली जाती है। हास्टल में रहने वाले बच्चों के लिए भी खाने व रहने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।

मदरसा प्रबंधन को शैक्षिक सत्र शुरू होने के एक महीने पहले छात्रों से लिए जाने वाले शुल्क का अनुमोदन करना होगा। अगले शैक्षिक सत्र में प्राइवेट स्कूलों की तरह मदरसों में भी पहले से निर्धारित शुल्क लिया जाएगा। मदरसा परिषद के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने सभी अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को भेजकर शुल्क लिए जाने के निर्णय से अवगत करा दिया है।

जिला अल्पसंख्यक अधिकारी आशुतोष कुमार पाण्डेय ने कहा कि शुल्क प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले काफी कम होगा। परिषद ने शुल्क संग्रह की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम उठाया है। शुल्क संरचना का निर्धारण करते समय क्षेत्रीय असमानता, आर्थिक विषमता और शैक्षिक स्तर का भी विशेष ध्यान रखना होगा।

रजिस्ट्रेशन शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क, संयुक्त वार्षिक शुल्क एवं विकास शुल्क लिया जा सकेगा। विद्यार्थियों को फीस की रसीद देनी होगी। हालांकि यह शुल्क प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले काफी कम होगी।