हाथरस केस / आरोपियों के वकील एपी सिंह ने पीड़‍िता के परिवार पर लगाया गंभीर आरोप, कहा - भाई ने ही मारा

हाथरस कांड की जांच कर रही एसआईटी मंगलवार को पांचवी बार पीड़िता के गांव बूलगढ़ी पहुंची और पीड़िता के परिवार के लोगों से मुलाकात की। साथ ही टीम के सदस्यों ने घटनास्थल के साथ उस स्थान का फिर से मुआयना किया, जहां पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया गया था। उधर, आरोपियों के वकील एपी सिंह ने पीड़‍िता के परिवार पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। एक निजी चैनल से बात करते हुए एपी सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले का राजनीतिकरण किया जा रहा है और पीड़‍िता को उसके भाई (Honor killing) ने ही मारा है। एपी सिंह ने कहा एक हफ्ते के बाद नेताओं के पीड़िता के परिवार से मुलाकात करने के उपरांत इस मामले में रेप का मुकदमा दर्ज किया गया। एपी सिंह ने कहा कि उनकी आरोपियों के परिजनों से बात हुई है। उन्‍होंने यह भी बताया कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि भी नहीं हुई है।

दरअसल, कल खबर सामने आई थी कि निर्भया मामले में जिन दो वकीलों ने केस की पैरवी कोर्ट में की थी वे एक बार फिर आमने-सामने हो सकते हैं। निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दिलाने वाली अधिवक्ता सीमा समृद्धि कुशवाहा ने हाथरस कांड की पीड़‍िता का केस लड़ने की बात कही है। वहीं, निर्भया कांड के दोषियों का केस लड़ने वाले अधिवक्ता एपी सिंह से हाथरस के आरोपियों के परिजनों ने संपर्क किया है।

मुकदमा लड़ने के लिए आग्रह किया है

मंगलवार को अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा था कि आरोपियों के परिवार ने उनसे मुकदमा लड़ने के लिए आग्रह किया है। इसके अलावा एपी सिंह ने कहा था कि अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री मानवेंद्र सिंह ने भी उनसे हाथरस मामले में आरोपियों का मुकदमा लड़ने की बात कही है। मानवेंद्र सिंह द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा पैसे इकट्ठा कर वकील एपी सिंह की फीस भरेगी।

सवर्ण समाज को बदनाम किया जा रहा है

पत्र में कहा गया है कि हाथरस केस के माध्यम से एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग करके सवर्ण समाज को बदनाम किया जा रहा है, जिससे खासतौर से राजपूत समाज बेहद आहत हुआ है। ऐसे में इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए मुकदमे की पैरवी आरोपी पक्ष की तरफ से एपी सिंह के द्वारा कराने का फैसला किया गया है।

केस ट्रान्सफर करने की मांग

पीड़िता के परिवार की तरफ से निर्भया मामले से चर्चा में आईं अधिवक्ता सीमा कुशवाहा को नियुक्त किया गया है। उन्होंने वकालतनामा पर हस्ताक्षर भी कर दिया है। सीमा कुशवाहा ने कहा है कि वह जल्द ही सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर मुकदमे की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग करेंगी। उन्होंने बताया कि जब तक मामला उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं किया जाएगा, हाथरस की बेटी को इंसाफ नहीं मिलेगा। आरोपियों को सजा दिलाने के लिए वह पूरा प्रयास करेंगी। उन्हें पूराी उम्मीद है कि एक दिन हाथरस की बेटी को न्याय मिलेगा और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलेगी।

SIT को 10 दिन का और मिला वक्त

हाथरस गैंगरेप केस की जांच कर रही गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) को और 10 दिन की मोहलत दी गई है। दरअसल, पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी को पहले सात दिन की मोहलत दी गई थी, जिसकी मियाद आज बुधवार को पूरी हो रही है। इस बीच एसआईटी टीम ने जांच के लिए और 10 दिन की मोहलत मांगी थी, जिसे योगी सरकार ने मंजूरी दे दी है। बता दें कि एसआईटी द्वारा प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस के एसपी, सीओ समेत 5 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। पीड़ित परिवार और विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी गठित कर जांच रिपोर्ट तलब की थी। हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री ने इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर दी थी। एसआईटी की टीम ने पीड़िता के परिवार से बात की और बयान दर्ज किया। साथ ही चश्मदीदों के साथ बातचीत और सीन को रिक्रिएट भी किया गया। कल एसआईटी वहां गई थी, जहां पर पीड़िता का अंतिम संस्कार किया गया था।

फोन कॉल रिकॉर्ड से नया खुलासा

हाथरस कांड में फोन कॉल रिकॉर्ड से नया मोड़ आ गया है। एसआईटी की जांच में पता चला है कि आरोपी संदीप के फोन से पीड़िता के भाई के फोन पर लगातार बातचीत हुई थी। अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक दोनों फोन के बीच 104 कॉल हुई, जिसमें से 62 कॉल आरोपी संदीप के फोन पर आई, जबकि 42 कॉल पीड़िता के भाई के फोन पर।

हाथरस के चंदपा इलाके के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को एक दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप की वारदात हुई थी। इसमें गांव के ही चार युवकों पर रेप का आरोप लगा था। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इलाज के दौरान पीड़िता की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी। लेकिन, उस वक्त बवाल मच गया जब पुलिस ने रात में ही परिजनों को बिना शव सौंपे उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना के बाद सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक आक्रोश देखने को मिला।