गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर बसा उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद का नाम बदल कर अब प्रयागराज कर दिया गया है। योगी सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। लंबे समय से संत और स्थानीय लोग इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ Yogi Adityanath ने पिछले शनिवार कहा था कि मार्गदर्शक मंडल की बैठक में हर तबके खासकर अखाड़ा परिषद, प्रबुद्ध वर्ग से एक प्रस्ताव आया है कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया जाए। पुराणों के अनुसार इलाहाबाद का पहले नाम प्रयागराज ही था। मुगलों ने अपने शासन के दौरान इसका नाम बदलकर इलाहाबाद किया था।
रामचरित मानस में इस शहर को प्रयागराज कहा गया है। जिसका अब नाम इलाहाबाद है। जंगल जाते वक्त भगवान श्री राम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे। जब श्री राम पहुंचे तो प्रयागराज का वर्णन हुआ। मत्स्य पुराण में भी इसका वर्णन है। उसमें लिखा गया है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती है। इसलिए उसका नाम प्रयागराज पड़ा था।
मुगलकालीन कई किताबों में इस शहर का वर्णन किया गया है। अकबर ने करीब 1574 में इस शहर में किले की नींव रही थी। जिसके बाद नया शहर बसाया और नाम इलाहाबाद रखा गया। इससे पहले इस शहर को प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता था। कई सालों से शहर का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मांग उठ रही थी। पिछले साल योगी सरकार के आने के बाद वादा किया गया कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया जाएगा। जिसके बाद अब उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसकी घोषणा की है। नाम बदलने पर विरोधी पार्टियां काफी नाराज नजर आ रही हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ करार दिया। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि प्रयाग कुंभ का नाम केवल प्रयागराज किया जाना और अर्द्धकुंभ का नाम बदलकर 'कुंभ' किया जाना परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ है।
ब्रह्मांड की शुरुआत प्रयाग से हुईहिंदू मान्यताओं के मुताबिक, ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा ने इसकी रचना से पहले यज्ञ करने के लिए धरती पर प्रयाग को चुना और इसे सभी तीर्थों में सबसे ऊपर, यानी तीर्थराज बताया। कुछ मान्यताओं के मुताबिक ब्रह्मा ने संसार की रचना के बाद पहला बलिदान यहीं दिया था, इस कारण इसका नाम प्रयाग पड़ा। संस्कृत में प्रयाग का एक मतलब 'बलिदान की जगह' भी है।
चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के विवरण में जिक्रवर्धन साम्राज्य के राजा हर्षवर्धन के राज में 644 CE में भारत आए चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा विवरण में पो-लो-ये-किया नाम के शहर का जिक्र किया है, जिसे इलाहाबाद माना जाता है। उन्होंने दो नदियों के संगम वाले शहर में राजा शिलादित्य (राजा हर्ष) द्वारा कराए एक स्नान का जिक्र किया है, जिसे प्रयाग के कुंभ मेले का सबसे पुराना और ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है। हालांकि, इसे लेकर कुछ साफ तरीके से नहीं कहा गया है क्योंकि उन्होंने जिस स्नान का जिक्र किया है वह हर 5 साल में एक बार होता था, जबकि कुंभ हर 12 साल में एक बार होता है।