नेपाल से अयोध्या पहुंचीं 600 साल पुरानी 2 शालिग्राम शिलाएं, बनेगी भगवान श्रीराम की मूर्ति

373 किलोमीटर और 7 दिन का सफर तय करके दो विशाल शालिग्राम शिलाएं नेपाल से अयोध्या पहुंच गई हैं। नेपाल के जनकपुर में काली नदी से ये पत्थर निकाले गए थे। अभिषेक और विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद शिला को 26 जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना किया गया था। इस दौरान यह बिहार के रास्ते UP में कुशीनगर और गोरखपुर होते हुए बुधवार रात अयोध्या पहुंची हैं। एक शिला का वजन 26 टन है, वहीं दूसरी शिला का वजन 14 टन है। माना जा रहा है कि यह शिलाएं 600 साल पुरानी हैं।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, डॉ अनिल मिश्र, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने शिलाओं को रामसेवकपुरम में रखवाया। सुरक्षा के लिए बाहर PAC-पुलिस तैनात की गई है। गुरुवार सुबह शिलाओं को पूजन किया जाएगा। इसके बाद राम मंदिर के महंत को सौंप दिया जाएगा। रामजन्मभूमि परिसर में शिलाओं को रखने के खास इंतजाम किए गए हैं। वहीं, पूजन में शामिल होने के लिए 100 महंतों को आमंत्रित किया गया है। ओडिशा और कर्नाटक से भी शिलाएं अयोध्या आएंगी। इन सभी का तुलनात्मक अध्ययन मूर्तिकार करेंगे। फिर उनके परामर्श पर ट्रस्टी विचार करेंगे।

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने बताया, 'भगवान श्रीराम के मंदिर में मूर्ति किस तरीके की हो और किन शिलाओं से यह मूर्ति निर्मित हो इस पर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट विचार कर रहा है। इसके लिए देशभर के मूर्तिकारों के विचारों को जानने के लिए बुलाया गया है। भगवान की मूर्ति की भाव भंगिमां कैसी हो, इस पर गहनता से विचार किया जा रहा है।'

ओडिशा और कर्नाटक की भी शिलाएं मंगवाई गई हैं, लेकिन उनके यहां आने का समय अभी तय नहीं हुआ है। सभी शिलाओं को एकत्र करने के बाद विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही गर्भगृह की मूर्ति किस पत्थर से बनाई जाएगी यह निर्णय लिया जाएगा।

मिली जानकारी के अनुसार सभी शिलाओं की जांच के बाद, उनमें से एक शिला का इस्तेमाल गर्भगृह के ऊपर पहली मंजिल पर बनने वाले दरबार में श्रीराम की मूर्ति बनाने में किया जाएगा। वहीं, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी इन्हीं शिलाओं से बनाई जाएंगी। बता दें, गर्भगृह में अभी श्रीराम समेत चारों भाई बाल रूप में विराजमान हैं।