नोएडा। 2 जुलाई की भगदड़ की जांच कर रही उत्तर प्रदेश सरकार की न्यायिक आयोग की टीम ने रविवार को हाथरस में स्थानीय लोगों के अलावा अधिकारियों और 121 लोगों की जान लेने वाली इस त्रासदी के गवाहों से बातचीत की।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय टीम में पूर्व आईएएस अधिकारी हेमंत राव और पूर्व आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार शामिल हैं।
वे शनिवार को हाथरस पहुंचे और राष्ट्रीय राजमार्ग 91 पर फुलराई गांव के पास भगदड़ स्थल का दौरा किया। रविवार की सुबह टीम ने जिले में अलीगढ़ रोड पर पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में डेरा डाला और जांच जारी रखी।
श्रीवास्तव ने शनिवार को घटनास्थल का जायजा लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, हमें दो महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया है। हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार और पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल टीम के साथ थे।
अधिकारियों के अनुसार मधुकर 2 जुलाई को स्वयंभू संत सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग का मुख्य आयोजक और धन जुटाने वाला था, जहां 2.50 लाख से अधिक लोग एकत्रित हुए थे, जो 80,000 की अनुमत सीमा से कहीं अधिक था।
2 जुलाई को स्थानीय सिकंदराराऊ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में संत का
नाम आरोपी के रूप में नहीं था। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित एक विशेष
जांच दल (एसआईटी) इस प्रकरण की जांच कर रहा है। एसआईटी का नेतृत्व अतिरिक्त
पुलिस महानिदेशक (आगरा जोन) अनुपम कुलश्रेष्ठ कर रहे हैं।
कुलश्रेष्ठ
ने शुक्रवार को पीटीआई को बताया कि उन्होंने भगदड़ में साजिश के पहलू से
इनकार नहीं किया है और कहा कि इस घटना के लिए आयोजकों को दोषी ठहराया गया
है।