'जाति-धर्म के नाम पर विभाजन का समर्थन नहीं', यूपी सरकार के आदेश की चिराग पासवान ने की निंदा

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि कांवड़ यात्रा के दौरान खाद्य पदार्थों की दुकानों पर नाम-पट्टिकाएँ लगाने के लिए दिशा-निर्देश 22 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर संचालक/मालिक का नाम और पहचान प्रदर्शित की जाए, ताकि तीर्थयात्रियों की आस्था की पवित्रता बनी रहे। इसके अलावा, हलाल प्रमाणित उत्पाद बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सहयोगी चिराग पासवान ने इस आदेश की खुलकर निंदा की है। पीटीआई से बात करते हुए पासवान ने कहा, जब भी जाति या धर्म के नाम पर कोई विभाजन होता है, तो मैं इसका बिल्कुल समर्थन नहीं करता। उनका यह बयान कांवड़ यात्रा मार्ग के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशों को लेकर गरमागरम बहस के बीच आया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस सलाह का समर्थन करते हैं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष ने पीटीआई संपादकों के साथ बातचीत में कहा, नहीं, मैं इसका समर्थन नहीं करता। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि समाज में अमीर और गरीब दो वर्ग के लोग मौजूद हैं और विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग दोनों श्रेणियों में आते हैं।

पासवान ने कहा, हमें इन दो वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है। गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुसलमान शामिल हैं। सभी वहां हैं। हमें उनके लिए काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, जब भी जाति या धर्म के नाम पर ऐसा विभाजन होता है, तो मैं इसका समर्थन या प्रोत्साहन बिल्कुल नहीं करता।

मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र का कोई भी शिक्षित युवा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से आता हो, ऐसी चीजों से प्रभावित होता है।

मुजफ्फरनगर और सहारनपुर पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को आदेश जारी किया था, जिसमें जिले में कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजन बेचने वाले होटलों, ढाबों और अन्य दुकानों से कहा गया था कि वे अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करें ताकि भक्तों के बीच किसी भी तरह की उलझन को रोका जा सके। मुजफ्फरनगर के पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा था कि राज्य सरकार ने खाद्य ठेलों और स्टैंडों को भी इसका पालन करने के लिए कहा है। इस कदम के परिणामस्वरूप भाजपा और विपक्ष के बीच राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है।

बाद में गुरुवार को आदेश के बाद उपजे आक्रोश के दबाव में आकर मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक समीक्षा आदेश जारी किया, जिसमें दुकानदारों और भोजनालय मालिकों को अपने प्रतिष्ठानों पर अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए “स्वतंत्र इच्छा” पर छोड़ दिया गया। मुजफ्फरनगर पुलिस ने इस बात से इनकार किया कि उसके निर्देश का उद्देश्य धार्मिक आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करना था।