जम्मू-कश्मीर (Jammu and kashmir) में सियासी पारा काफी गर्म है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की ओर से गठबंधन की सरकार बनाने के दावे के बाद घाटी की सियासत में घमासान जारी है। इसको लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मीडिया को संबोधित करते हुए राज्यपाल की कड़ी निंदा की। साथ ही उन्होंने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि दुर्भाग्य है कि एक सीनियर बीजेपी नेता ने कहा कि हमें पाकिस्तान से निर्देश मिलते हैं। गठबंधन की सरकार के दावे पर राम माधव के सीमा पार से निर्देश वाले बयान पर उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने पलटवार किया है। सीमा पार से निर्देश वाले बयान पर उमर अब्दुल्ला ने राम माधव को चुनौती दी और कहा कि राम माधव में हिम्मत है, तो पाक के इशारे पर काम करने का सबूत लाएं, वरना माफी मांगें। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि, "राज्यपाल ने कहा कि अलग-अलग सोच रखने वाले एक साथ कैसे आ सकते हैं, तो मैं पूछता हूं कि क्या उन्होंने यह सवाल पहले PDP और BJP से नहीं पूछा था... हमारे, PDP और कांग्रेस के बीच मतभेद कम है, PDP व BJP की तुलना में। हम तो एक साथ अपने मन से आ रहे थे, सो, हम पर यह आरोप कैसे लग सकता है..."
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा, "BJP के सीनियर लीडर ने कहा कि यह सब पाकिस्तान के इशारे पर हो रहा है.... मैं चैलेंज करता हूं कि हम कैसे और कहां पर पाकिस्तान के इशारे पर चलते हैं, इसके सबूत दिए जाएं... मैं माफी चाहता हूं राम माधव साहब, लेकिन आपने हमारे कार्यकर्ताओं की कुर्बानी का अपमान किया है... आपको सबूत देना होगा या माफी मांगनी होगी... इस मुल्क के लिए हमने क्या किया है, यह हम जानते हैं... अगर आपमें हिम्मत है, तो सबूत लेकर लोगों की अदालत में आ जाइए..."
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी ने प्रतिद्वंद्वी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को लिखा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं। कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है। उन्होंने कहा कि 87 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत है। तीनों दलों के विधायकों की कुल संख्या 56 है जो इससे अधिक है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मेरी बात पीडीपी से हुई थी, मेरे पास ये सबूत नहीं कि राज्यपाल ने कैसे हमारे दावे को ठुकराया। क्योंकि पीडीपी आगे की बात कर रही थी। महबूबा जी ने राज्यपाल को फैक्स किया था। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ राज्य की बेहतरी के लिए साथ आने को तैयार हुए और आगे भी तैयार रहेंगे। लोकतंत्र में संख्या सबसे जरूरी होता, हमारे पास थी संख्या।
उधर, विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा से कुछ ही देर पहले पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी बीजेपी के 25 विधायकों तथा 18 से अधिक अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था। लोन ने राज्यपाल को व्हाट्सऐप के जरिए एक संदेश भेज कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ों से अधिक विधायकों का समर्थन है। राजभवन द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में राज्यपाल ने विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा कर दी। देर रात जारी एक बयान में राज्यपाल ने तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग करने की कार्रवाई के लिए 4 मुख्य कारणों का हवाला दिया जिनमें व्यापक खरीद फरोख्त की आशंका और विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थिर सरकार बनना असंभव जैसी बातें शामिल हैं। बयान में कहा गया, 'व्यापक खरीद फरोख्त होने और सरकार बनाने के लिए बेहद अलग राजनीतिक विचारधाराओं के विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए धन के लेन देन होने की आशंका की रिपोर्टें हैं। ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र के लिए हानिकार हैं और राजनीतिक प्रक्रिया को दूषित करती हैं।'
गठबंधन की बात पर उमर ने कहा कि हम सिर्फ अपने राज्य को बचाना चाहते थे। हमारा मकसद पूरे कौम को बदनाम करने की कोशिश को रोकें, आखिर हम चाहते थे कि लोगों को दोबारा मौका मिले लेकिन यह हमारा आखिरी विकल्प था। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पास कोई आधार नहीं था यह कहने का कि हमारे पास नंबर नहीं था। नंबर तो विधानसभा में साबित होते लेकिन राज्यपाल ने किसी की सुनी ही नहीं। बगैर मौका दिए यह कहना कि यह अस्थाई सरकार होती यह गलत होती।
वहीं, राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान पर कि ईद के दिन राजभवन में कोई खाना देने वाला भी नहीं थी, पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर खाना देने वाला, फैक्स देखने वाला कोई नहीं तो था आखिर विधानसभा भंग करने का आदेश किसने टाइप किया। मैं भी सीएम रहा हूं ऐसा नहीं होता।
2015 के ऑफर को किया यादउमर ने कहा कि जब पिछले विधानसभा चुनाव में हम हार गए थे तब सारे मतभेद भुलाकर पीडीपी को बिना शर्त समर्थन देने को राजी थे। उन्होंने कहा, '2015 में हमने जो शर्त पीडीपी के साथ रखी थी उसे मान लिया जाता तो रियासत की यह हालत नहीं होती। उस समय बीजेपी-पीडीपी के बीच खुफिया बातचीत चल रही थी। हमने बिना शर्त समर्थन देने की बात कही थी। लेकिन हमारी बात नहीं मानी गई।'