अबुधाबी में ड्रोन हमले से तेल टैंकरों में धमाका, 2 भारतीयों की मौत, हूती विद्रोहियों ने ली जिम्मेदारी

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी अबुधाबी में सोमवार को ड्रोन अटैक किया गया। हमला अबुधाबी के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास किया गया है। जिनमें 3 लोगों की मौत हो गयी और 6 लोग घायल हो गये। मरने वालों में 2 भारतीय और 1 पाकिस्तानी नागरिक है। इसके अलावा अबुधाबी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास कंस्ट्रक्शन साइट पर आग भी लग गई। UAE में भारत के राजदूत संजय सुधीर ने कहा कि हम अपने नागरिकों की पहचान की कोशिश कर रहे हैं।

अधिकारियों ने अमीरात न्यूज एजेंसी (WAM) को बताया कि तेल कंपनी ADNOC के गोदाम के पास मुसाफा इंडस्ट्रियल एरिया में फ्यूल टैंकरों में विस्फोट हुआ है। इसके अलावा अबुधाबी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास कंस्ट्रक्शन साइट पर आग भी लग गई। पुलिस ने कहा कि शुरुआती जांच में छोटे विमान के कुछ टुकड़े मिले हैं। हो सकता है कि यह ड्रोन हों और इन्हीं की वजह से टैंकर विस्फोट हुए और एयरपोर्ट पर आग लगी। अधिकारियों ने कहा कि इस हमले में बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।

अबू धाबी पुलिस ने संदिग्ध हमले के पीछे अभी किसी पर संदेह नहीं जताया है, लेकिन यमन के हूती विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात पर निशाना साधने के लिए हमला करने की जिम्मेदारी ली है। ईरान समर्थित हूतियों ने पहले भी अनेक हमलों को अंजाम दिये जाने का दावा किया है, जिन्हें बाद में अमीरात के अधिकारियों ने खारिज कर दिया।

यमन के हूती विद्रोहियों ने कहा कि उन्होंने UAE में काफी भीतर तक अपने सैन्य अभियान शुरू कर दिए हैं। इनके बारे में ज्यादा जानकारी वे आने वाले कुछ घंटों में देंगे। हूती विद्रोही यमन में गठबंधन सेनाओं का भी सामना कर रहे हैं, जिसे UAE का समर्थन मिला हुआ है। हालांकि 2019 में UAE ने यमन में अपनी सेनाओं की मौजूदगी काफी घटा दी थी, लेकिन उसका प्रभाव वहां की सेना में बरकरार है, क्योंकि उन सैनिकों को ट्रेनिंग और हथियार UAE ने ही दिए हैं।

हूती विद्रोही पिछले साल दो बार सऊदी के दो एयरपोर्ट को निशाना बना चुके हैं। पहली बार UAE के बड़े एयरपोर्ट पर बड़े हमले को अंजाम देने की कोशिश की है। UAE के स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह एक बड़ी साजिश हो सकती है।

यमन में 2015 से जारी है हूती संघर्ष

2015 से यमन में हूती संघर्ष जारी है। 2015 में हूतियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया था और राष्ट्रपति अब्दरबू मंसूर हादी को देश छोड़कर भागना पड़ा था। अभी उत्तरी यमन के ज्यादातर हिस्सों पर हूतियों का कब्जा है। सऊदी अरब शुरुआत से ही हादी समर्थक रहा है। 2015 में सउदी की अगुआई वाली गठबंधन सेना ने हूती विद्रोहियों पर कई हवाई हमले भी किए।

आज भी यह गठबंधन सेना हूतियों के खिलाफ एक्टिव है। जवाब में हूती विद्रोहियों ने भी सऊदी अरब पर मिसाइल हमले किए हैं। सितंबर 2019 में हूती विद्रोहियों ने सऊदी अरब के दो तेल संयंत्रों पर हमला करने का दावा किया था। जिससे पूरी दुनिया के तेल बाजार पर असर पड़ा था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हूती विद्रोह के चलते अब तक 70,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।