क्या भाई बहन को न्याय दे पाएगी सुप्रीम कोर्ट

यह पूरा मामला नई दिल्ली का है जहाँ दो भाई बहन 60 लाख के पुराने नोट बदलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे है दरअसल कुछ महीनों पहले उनके माता पिता की दुर्घटना में म्रत्यु हो गयी उसके बाद जब माता पिता का बैंक लॉकर खोला गया तो उसमें 60 लाख के पुराने नोट निकले।

साठ लाख रुपये के पुराने नोट बदलवाने के लिए अदालत पहुंचे भाई-बहन अपूर्व और आरुषि जैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। अपूर्व और आरुषि के माता-पिता की एक हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद उन्हें बैंक के लॉकर में 1000 और 500 रुपये के नोटों में यह रकम मिली थी।

जस्टिस आर.के. अग्रवाल और ए.एम. सप्रे की पीठ ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक से पूछा है कि क्या इन भाई-बहन को पुराने नोट बदलने की सुविधा देने के लिए कोई खिड़की खोली जा सकती है। हालांकि सरकार ने हाल में एक अन्य मामले में कोर्ट में कहा था कि अब कोई खिड़की नहीं खोली जा सकती। क्योंकि ऐसा करना कालेधन के खात्मे के लिए की गई नोटंबदी की पूरी योजना को ध्वस्त करना होगा।

आइये जानते है क्या है पूरा मामला-:

अपूर्व और आरुषि को 60 लाख रुपये के पुराने नोट बैंक के लॉकर में मिले थे, जब कोर्ट के आदेश पर उसे 17 मार्च 2017 को खोला गया। लेकिन तब तक ढाई माह से ज्यादा की देरी हो चुकी थी क्योंकि सरकार ने पुराने नोट बदलवाने की सीमा 31 दिसंबर 2016 रखी थी।

विशेष हालात में 31 मार्च तक नोट बदले जा सकते थे। याचिकाकर्ताओं के वकील अजय जैन ने कहा कि वे पुराने नोट नहीं बदलवा सके क्योंकि ये रकम साकेत जिला कोर्ट के कब्जे में थी। कोर्ट से लेटर ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन हासिल किए बगैर उसका कब्जा उन्हें नहीं मिल सकता था। इस कारण 31 मार्च की तिथि भी निकल गई।

अपूर्व और आरुषि के माता-पिता की मौत जिस समय हुई थी, उस समय ये भाई-बहन नाबालिग थे। बालिग होने पर उनके माता-पिता के बैंक के लॉकर खोले गए थे।