Twitter को भारी पड़ा नए नियमों का पालन न करना, छिना सुरक्षा का अधिकार; गाजियाबाद केस में ट्विटर समेत 9 लोगों पर FIR

नए IT नियमों का पालन नहीं करना ट्विटर को भारी पड़ गया है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, भारत में अब ट्विटर ने कानूनी सुरक्षा का आधार गंवा दिया है। ऐसे में पुलिस अब कंपनी की भारतीय इकाई के मैनेजिंग डायरेक्टर सहित शीर्ष अधिकारियों से पूछताछ कर सकेगी और इस प्लैटफॉर्म पर शेयर किए गए 'गैरकानूनी या भड़काऊ' कॉन्टेंट को लेकर क़ानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।

दरअसल, ट्विटर ने सरकार की ओर से 25 मई से लागू हुए IT नियमों को अब तक लागू नहीं किया है, जिसके बाद उसके खिलाफ यह एक्शन लिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ट्विटर ने अभी तक 25 मई को लागू हुए नियमों के सभी प्रावधानों का पालन नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने पांच जून को आखिरी चेतावनी दी थी, लेकिन उसके बाद भी ट्विटर ने नियमों का पालन कर नहीं पाया तो स्पष्ट है कि कार्रवाई शुरू हो गई है। यानी ट्विटर पर भी अब IPC के तहत मामले दर्ज हो सकेंगे और पुलिस पूछताछ भी कर सकेगी।

3 पॉइंट में समझें प्रोटेक्शन हटाने के मायने

- केंद्र सरकार की तरफ से धारा 79 के तहत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। ये सुरक्षा ट्विटर को भी मिली हुई थी। इस सुरक्षा के चलते आपराधिक गतिविधि के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किए जाने पर कंपनी की जिम्मेदारी नहीं होती थी और किसी भी केस में कंपनी को पक्ष नहीं बनाया जा सकता था।

- नए IT नियम के तहत सरकार ने कहा था कि सोशल मीडिया कंपनी एक महीने के अंदर मुख्य अनुपालन अधिकारी (CCO) की नियुक्ति करें, जो यूजर्स की शिकायतों को सुलझाए। नियुक्ति न होने पर सरकार ने धारा 79 के तहत प्रोटेक्शन खत्म करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद 15 जून को ट्विटर के खिलाफ पहली FIR हुई है।

- सरकार के फैसले के बाद ट्विटर अब अकेला ऐसा अमेरिकी प्लेटफॉर्म है, जिससे IT एक्ट की धारा 79 के तहत मिलने वाला यह कानूनी संरक्षण वापस ले लिया गया है, जबकि गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसे अन्य प्लेटफॉर्म के पास अभी भी यह सुरक्षा है।

ट्विटर ने मानी कुछ शर्तें

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से जारी हुए इंटरमीडियरी गाइडलाइंस के बाद ट्विटर ने मंगलवार देर रात अंतरिम चीफ कम्पलायंस ऑफिसर नियुक्त किया है। कंपनी ने कहा है कि जल्द ही आईटी मंत्रालय के साथ ब्यौरा शेयर किया जाएगा। ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा कि नई गाइडलाइंस का पालन करने की हर कोशिश जारी है। आईटी मंत्रालय को हर कदम पर प्रगति की जानकारी दी जा रही है। ट्विटर ने ये कदम तब उठाया है, जब सरकार ने उसे गाइडलाइन का पालन करने का आखिरी मौका दिया था। सरकार ने अपने नोटिस में ट्विटर से कहा था कि अगर वो गाइडलाइन का पालन करने में नाकाम रहता है तो वह IT एक्ट के तहत जिम्मेदारी से मिलने वाली छूट को खो देगा।

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस ने लोनी इलाके में अब्दुल सनद नाम के एक बुजुर्ग के साथ मारपीट और अभद्रता किए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद FIR दर्ज की थी। इन सभी पर घटना को गलत तरीके से सांप्रदायिक रंग देने की वजह से यह एक्शन लिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि एक बुजुर्ग मुस्लिम को पीटा गया और उसकी दाढ़ी काट दी गई।

पुलिस के मुताबिक, मामले की सच्चाई कुछ और ही है। पीड़ित बुजुर्ग ने आरोपी को कुछ ताबीज दिए थे, जिनके परिणाम न मिलने पर नाराज आरोपी ने इस घटना को अंजाम दिया। लेकिन, ट्विटर ने इस वीडियो को मैन्युप्युलेटेड मीडिया का टैग नहीं दिया। पुलिस ने यह भी बताया कि पीड़ित ने अपनी FIR में जय श्री राम के नारे लगवाने और दाढ़ी काटने की बात दर्ज नहीं कराई है।

गाजियाबाद में पुलिस ने ट्विटर इंडिया और 2 कांग्रेस नेता समेत 9 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। FIR मामले को सांप्रदायिक रंग देने के आरोप में दर्ज की गई है। पुलिस ने मामले में मोहम्मद जुबैर, राना अय्यूब, द वायर, सलमान निजामी, मसकूर उस्मानी, शमा मोहम्मद, सबा नकवी, ट्विटर कम्यूनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ट्विटर INC के खिलाफ FIR दर्ज की है। डॉ। शमा मोहम्मद और निजामी कांग्रेस नेता हैं। वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष उस्मानी को कांग्रेस ने पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के रूप में उतारा था।