त्रिपुरा में पिछले विधासभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। कई कार्यकर्ताओ के योगदान के बाद आज त्रिपुरा में भाजपा की मजबूत स्थिति देखने को मिली है। लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो कभी सुर्खियों में नहीं रहा और भाजपा को बुनियादी मजबूती देता रहा। हम बात कर रहे हैं सुनील देवधर की। सुनील देवधर ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा लेकिन, चुनाव जीतना उन्हें बखूबी आता है। देवधर ने ही त्रिपुरा में भाजपा के बेहतरीन प्रदर्शन का मैप तैयार किया था। उनके जीतोड़ प्रयास और परफेक्ट प्लानिंग के चलते त्रिपुरा आज भगवामय होती दिख रही है। जन्म से मराठी सुनील देवधर ने पिछले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर के राज्यों में पार्टी की ऐसी बिसात बिछाई कि त्रिपुरा में बाजेपी ने विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान सुनील देवधर को वाराणसी भी भेजा था।
देवधर लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं और वे बांग्ला भाषा भी जानते हैं। भाजपा आलाकमान ने देवधर को नॉर्थ ईस्ट की जिम्मेदारी सौंपी थी। यहां रहते हुए उन्होंने स्थानीय भाषाएं सीखीं जिससे की वे यहां की जनता से सीधे जुड़ सकें। मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड में खासी और गारो जैसी जनजाति के लोगों से वे उनकी ही भाषा में बात करते हैं। इस प्रकार वह स्थानीय लोगों से उन्हीं की भाषा में बात करके उनके बीच पकड़ बना सके। सुनील देवधर ने बताया कि उन्होंने बूथ स्तर पर काम किया और त्रिपुरा में वाम दलों, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस दलों से भी लोगों को बीजेपी में जोड़ना शुरू किया। इससे बीजेपी का दायरा बढ़ता गया और पार्टी मजबूत होती चली गई।
विधानसभा चुनाव से पहले वाम दलों, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कई नेता बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसका फायदा बीजेपी को मिला। बता दें कि त्रिपुरा में विधानसभा की 60 सीटें हैं। 41 पर बीजेपी आगे है और 18 पर वाम दल आगे चल रहे हैं, लेकिन बीजेपी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त लग रही है और पार्टी नेता जश्न की तैयारियां कर रहे हैं।
त्रिपुरा में बीजेपी के संभावित सीएम 'बिप्लव कुमार'सूत्रों के मुताबिक बिप्लव कुमार देब त्रिपुरा के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं। मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में बिप्लव इसलिए भी सबसे आगे हैं, क्योंकि वे लो-प्रोफाइल रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निभाना जानते हैं। रुझान के दौरान भाजपा महासचिव राम माधव के साथ वह मंच भी साझा करते दिखे हैं। चुनाव नतीजों से पहले भी ऐसे संकेत मिलते रहे हैं कि त्रिपुर में बिप्लव को भाजपा की कमान दी जा सकती है। बिप्लब देव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व स्वयंसेवक रह चुके हैं। वह त्रिपुरा बीजेपी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले सुधींद्र दासगुप्ता की जगह लाया गया था। बिप्लब देव का जन्म दक्षिणी त्रिपुरा के उदरपुर सबडिविजन में हुआ था। देब की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से हुई है और उनका ज्यादातर वक्त नागपुर के आरएसएस हेडक्वॉटर्स में बीता है। बिप्लब देव ने त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है। उनके खिलाफ एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। बनमालीपुर (पश्चिमी त्रिपुरा) में विप्लव का मुकाबला ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के कुहेली दास से है। विप्लव ने नामांकन पत्र के साथ दिए ऐफिडेविट में अपनी आय मात्र 2,99,290 रुपये बताई है।