एक साथ तीन तलाक को अपराध ठहराने वाला विधेयक मंगलवार को राज्यसभा में पेश होगा। इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक का दोषी पाए जाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है। यह लोकसभा से पिछले हफ्ते ही पारित हो चुका है। इस विधेयक में तीन तलाक की पीड़ित महिला को जीवन निर्वाह करने के लिए मदद की मांग हेतु मजिस्ट्रेट के पास जाने का अधिकार दिया गया है। यही नहीं महिला अपने नाबालिग बच्चे की कस्टडी की भी मांग कर सकती है। विधेयक के अनुसार मौखिक, लिखित, वॉट्सऐप, मेसेज या किसी भी माध्यम से दिए गए एक साथ तीन तलाक को अवैध माना जाएगा। सरकार को उच्च सदन में बिल को पारित कराने में दिक्कत आ सकती है क्योंकि यहां उसके पास पूर्ण बहुमत नहीं है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि विपक्ष बिल के कई प्रावधानों पर ऐतराज जता रहा है। ऐसे में अगर वह सहमत नहीं होता है तो इसे सिलेक्ट कमेटी को भेजा जा सकता है।
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन संगठन ने तीन तलाक बिल में तलाक ए अहसन को भी शामिल करने की मांग की है। यह तलाक की एक प्रक्रिया है जिसमें मध्यस्थता अनिवार्य है और इसमें 90 दिन की मोहलत मिलती है। संगठन ने इसके लिए राज्यसभा सांसदों को पत्र भी लिखा है।
तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। एकबार में तीन तलाक देने के खिलाफ संगठन ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसने अपने पत्र में कहा कि तलाक ए अहसन को बिल में शामिल किया जाना चाहिए। यह सुविधा पति और पत्नी दोनों को मिलनी चाहिए, जिससे महिलाओं के साथ अन्याय नहीं हो।