भारतीय
सिनेमा की पहली फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' 3 मई 1913 को रिलीज हुई
थी। इस फिल्म को हमारे देश के पहले फुल लेंथ फीचर फिल्म के तौर पर जाना
जाता है। फिल्म का निर्माण दादा साहब फाल्के असली नाम धुंडिराज गोविन्द
फाल्के ने फाल्के फिल्म कंपनी के बैनर तले किया था। इस फिल्म के निर्माण
में कुल 7 महीने और 21 दिन का वक्त लगा था।
फिल्म की कहानी राजा हरिश्चंद्र के इर्द-गिर्द बुनी गई थी,
जिन्हें पूरी दुनियां 'सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र' के नाम से जानती है।
कहा जाता है कि फिल्म के निर्माण के दौरान दादा फाल्के की पत्नी ने
उनकी काफी सहायता की थी। वे फिल्म में काम करनेवाले लगभग 500 लोगों के
लिए खाना भी बनाती थी और उनके कपड़े भी धोती थी। इस फिल्म के
निर्माण में तकरीबन 15000 रुपये लगे थे जो उस समय बहुत बड़ी रकम हुआ करती
थी।
लगभग 40 मिनट की इस फिल्म को दर्शकों का अच्छा रेस्पोंसे मिला था। इस
फिल्म के प्रचार के लिए उन्होंने सिर्फ तीन आने में दो मील लंबी फिल्म
चलाई जिसमें 57 हजार चित्र थे। यह फिल्म 3 मई 1913 में मुंबई के कोरनेशन
सिनेमा में प्रदर्शित की गई।