कोलकाता: TMC MP मिमी चक्रवर्ती की तबियत बिगड़ी, 'फर्जी कैम्प' में ली थी कोरोना वैक्सीन

'फर्जी' टीकाकरण कैम्प का शिकार हुईं तृणमूल कांग्रेस सासंद मिमी चक्रवर्ती की तबियत अचानक शनिवार को बिगड़ गई। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के कस्बा इलाके में आयोजित एक कैम्प में वैक्सीन लगवाई थी। हालांकि, टीका लगवाने के बाद ही उन्हें धांधली का शक हुआ और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के बाद एसएमएस नहीं मिलने के चलते उन्हें इस प्रक्रिया पर शक हुआ। मामले की जांच शुरू हुई और यह एक बड़े वैक्सीन घोटाले के रूप में सामने आया। फिलहाल घर पर उनका इलाज जारी है। चक्रवर्ती को अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने घर में ही उपचार कराने की बात कही है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, टीएमसी सांसद मिमी चक्रवर्ती वैक्सीन लेने के बाद बीमार हो गई हैं। शनिवार सुबह ही डॉक्टर उनके घर पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि पेट में तेज दर्द और अत्याधिक पसीना बहने समेत उन्हें स्वास्थय से जुड़ी कुछ परेशानियां हो रही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, चक्रवर्ती को पहले ही स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हैं। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि क्या संभावित एंटीबैक्टीरियल इंजेक्शन के चलते उन्हें कोई विपरीत दुष्प्रभाव हो रहे हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में टीएमसी सांसद को वैक्सीन कैम्प में आमंत्रित किया गया था।

उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए जानकारी दी थी कि वैक्सीन भले ही नकली थी, लेकिन वे हानिकारक नहीं थीं। सांसद ने बताया कि कैम्प पर इस्तेमाल किए जा रहे वायल्स को जांच के लिए लैब भेजा गया है और 4-5 दिनों में परिणाम आ सकते हैं।

क्या है 'वैक्सीन घोटाला'?

कोलकाता में कुछ समय से 'फर्जी वैक्सीन कैम्प' का मामला सुर्खियों में है। यहां देबांजन देव नाम के एक शख्स ने खुद को आईएएस अधिकारी बताकर दो वैक्सीन कैम्प आयोजित किए थे। माना जा रहा है कि इस दौरान टीएमसी सांसद समेत करीब 2000 लोगों ने टीका लगवाया था। मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने कई वैक्सीन की जगह पर इस्तेमाल किए जा रहे वायल पर लगे एक एंटीबायोटिक इंजेक्शन के फर्जी लेबल बरामद किए।

बता दे, देबंजान देब और उसके तीन साथियों पर सरकारी ठेके दिलाने के नाम पर अलग-अलग लोगों से करीब 1 करोड़ रुपए की ठगी करने का आरोप है। शुक्रवार को कोलकाता के कसबा थाने में इन लोगों के खिलाफ 3 और नए मामले दर्ज किए गए हैं।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक ये गैंग की तरह काम कर रहे थे। इन्होने एक प्राइवेट कंपनी से 1.2 लाख रुपए लिए थे जिसके बदले 172 लोगों का फर्जी वैक्सीनेशन किया गया था। इसके आलावा एक कांट्रेक्टर से 90 लाख रुपए लिए थे और बदले में उसे स्टेडियम बनाने का ठेका दिलाने का वादा किया था। इन सभी लोगन ने मिलकर एक फार्मा कंपनी से भी सरकारी ठेका दिलाने के नाम पर 4 लाख रुपए लिए थे।

मुंबई में फर्जी वैक्सीनेशन के शिकार हुए 2000 से ज्यादा लोग

मुंबई में भी 2000 से ज्यादा लोग फर्जी वैक्सीनेश कैंप का शिकार हो चुके है। महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी बंबई हाईकोर्ट को दी है। राज्य सरकार के वकील दीपक ठाकरे ने अदालत को बताया कि शहर में अब तक कम से कम 9 फर्जी शिविरों का आयोजन किया गया और इस सिलसिले में चार अलग-अलग FIR दर्ज की गई हैं।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ को महाराष्ट्र सरकार की तरफ से बताया गया कि पुलिस ने अब तक 400 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। फिलहाल डॉक्टरों की तलाश जारी है।

बता दें कि कांदीवली की एक आवासीय सोसाइटी में फर्जी टीकाकरण शिविर लगा था, उसी मामले में एक डॉक्टर आरोपी है। BMC की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने बताया, ‘‘हमें पता चला है कि जिस दिन लोगों को फर्जी टीका लगाए गए, उन्हें टीकाकरण प्रमाण-पत्र उसी दिन नहीं दिए गए। बाद में ये प्रमाण-पत्र तीन अलग-अलग अस्पतालों के नाम पर जारी किए गए। तब जाकर लोगों को यह अहसास हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है।

कोर्ट ने कहा, 'हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि टीका लगवाने वाले इन लोगों के साथ क्या हो रहा है। उन्हें क्या लगाया गया और फर्जी टीके का क्या असर पड़ा?'

सरकार के मुताबिक 25 मई को मलाड में 30 लोगों को फर्जी वैक्सीन लगाई गई। अगले दो दिन बाद ठाणे में 122 और फिर बोरिवली में 514 लोगों को वैक्सीन की डोज़ लगाई गई। अदालत ने बीएमसी और राज्य सरकार से कहा कि वे इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 जून को अदालत के सवालों और निर्देशों से संबंधित जवाब के साथ अपने हलफनामे दाखिल करें।