भारतीय मौसम विभाग ने मानसून का पहला अनुमान जारी करते हुए कहा है कि इस साल पूरे देश में 97 फीसदी बारिश होगी। इससे जून से लेकर के सितंबर के बीच अच्छी वर्षा होगी। जिसके चलते यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल देश में बेहतर फसल की उम्मीद की जा सकती है। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जहां आधे से ज्यादा खेती योग्य जमीनों पर सिचांई की समस्या रहती है इस बार यहां मानसून का साथ मिलेगा।
भारतीय मौसम विभाग के डायरेक्टर जर्नल के.जे. रमेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में मानसून का 2 ट्रिलियन का योगदान है। मानसून का लंबी अवधि (एलपीए) का औसत 97 प्रतिशत रहेगा, जो कि इस मौसम के लिए सामान्य है। कम मॉनसून की 'बहुत कम संभावना' है। इससे पहले प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट ने भी 4 अप्रैल को बयान जारी किया था कि 2018 में मॉनसून 100 फीसदी सामान्य रहने की संभावना है।
उन्होंने आगे कहा कि मानसून मई के मध्य में सबसे पहले केरल पहुंचेगा और 45 दिनों के अंदर पूरे देश में फैल जायेगा। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब मानसून सामान्य रहेगा। देश में करीब 45 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र है और शेष भूमि पर वर्षा आधारित खेती की जाती है, जिसके लिए मानसून का सामान्य रहना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।
मोसम विभाग के महानिदेशक के जे रमेश ने कहा कि लांग पीरियड ऐवरेज(एलपीए) के लिए फिलहाल पूर्वानुमान को जारी किया गया है। अगर 96-104 फीसदी अनुमान को सामान्य बारिश के तौर पर माना जाता है। वहीं 104-110 के एलपीए को सामान्य से अधिक और 110 फीसदी से ज्यादा के एलपीए को भारी बारिश माना जाता है। लगातार तीसरे वर्ष मॉनसून सामान्य रहेगा।
स्काईमेट ने लगाया था 100 फीसदी अनुमानस्काईमेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस साल सामान्य से कम बारिश की संभावना 20 फीसदी, सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना 20 फीसदी और भारी बारिश की संभावना 5 फीसदी है। स्काईमेट के मुताबिक इस साल सूखा पड़ने की आशंका नहीं है।
मौसम विभाग के महानिदेशक केजे रमेश ने बताया कि प्रशांत महासागर में विषुवत रेखा के निकट समुद्र के तापमान में कमी बनी हुई है। अभी यह तापमान -5 डिग्री से भी कम है। जून तक इसमें बदलाव की उम्मीदें भी नहीं हैं। यहां पर समुद्र सतह ठंडी होने से लॉ नीना प्रभाव उत्पन्न होते हैं जिससे विषुवत रेखा के ईदगिर्द चलने वाली हवाएं ट्रेंड विंड के दबाव में तेजी आती हैं। यह अच्छे मानसून का प्रतीक है।