पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम: 200 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करने वाली BJP क्‍यों 2 अंकों में सिमटी, जानें

बंगाल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी के अनुसार भाजपा दो अंकों में ही सिमट गई। ऐसे में सवाल है कि 200 से अधिक सीटें जीतने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्रियों के हैवीवेट चुनाव प्रचार के बावजूद ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी बंगाल की सत्ता नहीं पा सकी। बंगाल में तीसरी बार ममता बनर्जी की सरकार बन रही है। ऐसे में आइए आपको बताते है कि वे क्या वजह रही जिसने बीजेपी को बंगाल की सत्ता से दूर रखा।

ध्रुवीकरण की रणनीति फेल

बंगाल विधानसभा चुनाव में इस बार ध्रुवीकरण को बड़े मुद्दे के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा अपनी हर रैली और हर सभा में जय श्री राम के नारे पर हुए विवाद को मुद्दा बनाकर पेश करती रही। माना जा रहा था कि बंगाल के हिंदू वोटरों को रिझाने के लिए भाजपा का यह दांव उनके पक्ष में जा सकता है लेकिन आकलन उल्टा साबित हो गया। ममता बनर्जी ने पहले सार्वजनिक मंच पर चंडी पाठ किया, फिर अपना गोत्र भी बताया और हरे कृष्ण हरे हरे का नारा दिया।

इसके अलावा शीतलकूची फायरिंग और भाजपा नेताओं के बयान ने मुस्लिम वोट को एकजुट कर दिया। हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बंगाल में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सिर्फ माहौल बनाया गया था जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही थी। बंगाल में राजनीतिक ध्रुवीकरण देखने को मिला।

मुख्यमंत्री चेहरे का ना होना

मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान न करना भी एक वजह हो सकती है बीजेपी की हार की। इसमें दो राय नहीं है कि बीजेपी ने पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा। लोकसभा चुनाव में 19 सीटें जीतने के बाद भाजपा के लिए बंगाल विधानसभा चुनाव सबसे बड़ी लड़ाई थी जिसके लिए उसे प्रदेश के जमीनी और बड़े चेहरे चाहिए थे। ऐसे में बीजेपी ने सताधारी पार्टी तृणमूल में सेंधमारी शुरू कर दी और कई बड़े नेताओं को अपने पाले में ले लिया। इनमें सबसे बड़ा नाम सुवेंदु अधिकारी का माना जाता है जो ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी रहे और उन्हेंं बंगाल की सत्ता दिलाने में बड़ा योगदान दिया था। उधर तृणमूल ने बीजेपी पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए इन नेताओं को दल-बदलू, धोखेबाज और मीरजाफर तक की संज्ञा दे दी। ममता बनर्जी ने इसे इस तरह से प्रोजेक्ट किया कि उनके अपनों ने ही उन्हेंं धोखा दिया क्योंकि वे खुद बेईमान थे। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ममता के इस दांव से उन्हेंं फायदा मिला।

अपनों की नाराजगी मोल ली

बंगाल में जमीनी आधार बनाने के लिए भाजपा ने दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी शामिल करना शुरू कर दिया और उन्हें बड़े चुनाव में टिकट भी दिए। हालांकि इसके चलते पार्टी को अपने नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा। टिकट बंटवारे के दौरान बंगाल भाजपा यूनिट में असंतोष की खबरें आईं और कई जगह बीजेपी के दफ्तर में तोडफ़ोड़ भी हुई। इससे विवश होकर बीजेपी को कई बार अपनी लिस्ट में संशोधन भी करना पड़ा। हालांकि अपनों के बजाय बाहरी नेताओं पर अधिक विश्वाश करना पार्टी की अंदरूनी खटपट की बड़ी वजह बना।

महिला मतदाताओं का नहीं मिला साथ


चुनाव नतीजे यह बताने को काफी है कि भाजपा को महिला वोटरों ने वोट नहीं दिया। दरअसल बिहार चुनाव के बाद पीएम मोदी ने देश की महिलाओं को भाजपा का साइलेंट वोटर बताते हुए उन्हेंं विशेष रूप से धन्यवाद दिया लेकिन बंगाल में भाजपा का यह वोटबैंक खिसकता नजर आया। इसकी वजह यह भी मानी जा रही है कि पीएम मोदी का ममता बनर्जी पर अटैक करते हुए बार-बार 'दीदी ओ दीदी' कहकर संबोधित करना महिलाओं को पसंद नहीं आया। क्योंकि तृणमूल ने इसे मुद्दा बनाया।

बिना व्हीलचेयर के नजर आईं ममता

पश्चिम बंगाल में चुनावी नतीजे आने के बाद रविवार शाम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान वे बिना व्हीलचेयर के नजर आईं। उन्हें 10 मार्च को चुनाव प्रचार के दौरान चोट लग गई थी। इसके बाद 53 दिन से ममता प्लास्टर में ही प्रचार कर रही थीं। अब उन्हें ठीक देखकर BJP का कहना है कि यह चोट सिर्फ एक नाटक था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता ने कहा कि मुझे पहले से ही डबल सेंचुरी की उम्मीद थी। मैंने 221 सीटों का लक्ष्य तय किया था। ये जीत बंगाल के लोगों को बचाने की जीत है। ये बंगाल के लोगों की जीत है। खेला होबे और जय बांग्ला, दोनों ने बहुत काम किया है। अब हमें कोविड के साथ लड़ना है और उससे जीतना है। हम महामारी के खिलाफ काम करेंगे। इस जीत के बाद हम कोई जश्न नहीं करेंगे और हमारा छोटा सा शपथ ग्रहण समारोह होगा। हम सारी तकलीफ को संभालेंगे। हम जनता के लिए ही काम करेंगे।

शुवेंदु अधिकारी ने दीदी को हाराया

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों की हाइप्रोफाइल सीट नंदीग्राम में ममता बनर्जी को शिकस्त मिली है। ममता बनर्जी को उनके ही पूर्व सहयोगी और बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने 1957 वोटों से हराया है। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में हार को स्वीकार कर लिया है। ममता बनर्जी ने कहा, नंदीग्राम के बारे में चिंता मत करिए। मैंने नंदीग्राम में सघंर्ष किया क्योंकि मैं एक आंदोलन लड़ी। यह ठीक है। नंदीग्राम के लोग जो चाहें फैसला करने दीजिए, मैं इसे स्वीकार करती हूं। मैंने बुरा नहीं माना।हमने 221 से ज्यादा सीटें जीती हैं, भाजपा चुनाव हार गई है।