शुक्रवार को फिर बदला मौसम का मिजाज, बीकानेर शेखावाटी में हुई ओलावृष्टि, बर्फ से ढका इलाका, फसलें बर्बाद

शुक्रवार को दोपहर के बाद राजस्थान में मौसम ने एक बार फिर करवट ली। बीकानेर जिले के लूणकरणसर तहसील सहित चूरू, नागौर, झुंझुनू और शेखावाटी के कई इलाकों में तेज बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। शुक्रवार को हुई इस अचानक आपदा से गेहूं, चना, सरसों और जीरा की फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। बता दें कि पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) के प्रभाव से मौसम ने अचानक करवट ली है। शुक्रवार को श्रीगंगानगर और जैसलमेर सहित कई जिलों में तेज बारिश भी दर्ज की गई। चूरू के रतनगढ़ तहसील के कांगड़ गांव में दोपहर बाद अचानक ओले गिरने लगे, जिससे खेतों में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई। इसके अलावा बीकानेर में सुबह से रुक-रुक कर बारिश जारी रही।

खेतों में खड़ी फसल गिरी


बीकानेर में लूणकरणसर इलाके के भाडैरा चक 1 बीएचएम गांव में भी ओलावृष्टि हुई, जिससे सरसों और गेहूं की फसलें बर्बाद हो गईं। चक 5 एडी, शेखसर, नथवाना, चक 266, 272, 264 आरडी, उदाणा, खोडाला, ढाणीपाण्डूसर, कपूरीसर और कांकड़वाला गांवों में हुई भारी ओलावृष्टि से खेतों में सफेद चादर बिछ गई। किसानों का कहना है कि फसल लगभग कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन कुछ ही मिनटों में ओलों की मार ने पूरी मेहनत बर्बाद कर दी। सरसों और गेहूं की फसलें गिर गईं, जिससे किसानों को इस बार भारी नुकसान होने की आशंका है। शेखसर और नथवाना गांवों के किसानों ने बताया कि कटाई के समय पर ऐसी तबाही पिछले कई सालों में नहीं देखी गई। अब कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा और आगामी खरीफ सीजन के लिए भी संसाधन जुटाना मुश्किल होगा। स्थानीय विधायक और कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा ने कहा है कि प्रशासन से मांग कर जल्द और दृष्टि से नुकसान का सर्वे करवाया जाएगा।

चूरू में भी बर्बादी का मंजर


चूरू जिले के राजगढ़, सादुलपुर, धोलिया, चिमनपुरा, बेरासर और नवा गांवों में तारामीरा, चना और सरसों की फसलें ओलावृष्टि से नष्ट हो गईं। किसानों के अनुसार, अगर बारिश सामान्य रहती तो फसलों के लिए फायदेमंद होती, लेकिन तेज ओलावृष्टि और बूंदाबांदी ने फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचाया। ग्रामीणों के अनुसार, नींबू के आकार के ओले गिरे, जिससे खड़ी फसलें नष्ट हो गईं और कुछ स्थानों पर पेड़ भी धराशायी हो गए। ग्रामीणों ने कस्सी और फावड़े की मदद से ओलों को खेतों से हटाने की कोशिश की।

चूरू जिला कलेक्टर अभिषेक सुराणा ने किसानों से अपील की है कि ओलावृष्टि और बारिश से हुए नुकसान की सूचना तुरंत पटवारी, आईएलआर, तहसीलदार या तहसील कार्यालय में दें, ताकि फसल क्षति का सही आकलन किया जा सके और प्रभावित किसानों को जल्द से जल्द राहत दी जा सके। रबी 2025 की गिरदावरी प्रक्रिया मोबाइल ऐप के माध्यम से 1 जनवरी 2025 से जारी है और इसमें किसान, पटवारी और सर्वेयर मिलकर नुकसान का आकलन कर सकते हैं।

शेखावाटी में हुआ भारी नुकसान

झुंझुनू जिले के पिलानी विधानसभा क्षेत्र, लीकवा, छापड़ा, सरदारपुरा, दुधवा, दूदी और पिपली के कई गांवों में ओलों की मार से सरसों, गेहूं और ईसबगोल की फसलें तबाह हो गईं। कांग्रेस नेता सारिका पिलानिया ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अपील की है कि किसानों को हुए नुकसान का संज्ञान लेते हुए तत्काल मुआवजा दिया जाए। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि राजस्थान के चूरू, लूणकरणसर में अत्यधिक ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह करती हूं कि किसानों पर आई इस आपदा को देखते हुए व्यक्तिगत संज्ञान में लेकर सार्थक कदम उठाएं।

दिन के तापमान में आई गिरावट

राजस्थान के अधिकांश जिलों में बादल छाए रहने और बारिश के कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार को जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, अजमेर, अलवर, पाली और भरतपुर में दिन के तापमान में 2-5 डिग्री सेल्सियस तक गिरावट आई। इस बीच श्रीगंगानगर में अधिकतम तापमान 22।1 डिग्री सेल्सियस, चूरू में 27।8, बीकानेर में 27।4, जैसलमेर में 30।5, जोधपुर में 32।4, अजमेर में 32।3 और कोटा में 34।9 दर्ज किया गया। राजधानी जयपुर में शुक्रवार को अधिकतम तापमान 29।8 रहा। मौसम विभाग ने आज बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनू, सीकर, जयपुर, अलवर, दौसा और भरतपुर जिलों में 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक 1 मार्च तक उत्तरी और पूर्वी राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश संभव है। 2 मार्च से प्रदेश में मौसम शुष्क रहेगा और तापमान में फिर से बढ़ोतरी होगी।