बुजुर्ग विधवा को पेंशन दिलाने पर अड़े हाईकोर्ट जज, सरकारी वकील से हुई तीखी बहस

नई दिल्ली। केरल हाईकोर्ट के एक जज और सरकारी वकील के बीच 78 साल की बुजुर्ग महिला के विधवा पेंशन को लेकर कोर्ट रूम में तीखी बहस हो गई। जस्टिस रामचंद्रन इतने नाराज हुए कि केरल सरकार के वकील को कह दिया कि वह बुजुर्ग को अपमानित नहीं होने दे सकते। कहा कि किसी पर कीचड़ उछालना बहुत आसान है। आपको इस बात का अंदाजा भी नहीं कि कैसा एहसास होता है। केरल हाईकोर्ट के जज जस्टिस देवन रामचंद्रन शुक्रवार को मरियाकुट्टी नाम की बुजुर्ग महिला की विधवा पेंशन से जुड़ी अर्जी पर सुनवाई कर रहे थे।

Bar & Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि सरकार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते मरियाकुट्टी की विधवा पेंशन नहीं दी जा सकती। यह भी दलील दी कि केंद्र सरकार, इस साल जुलाई से विधवा पेंशन में अपने हिस्से का अंशदान नहीं दे रही है। सरकारी वकील ने बुजुर्ग याचिकाकर्ता की अर्जी को राजनीति से प्रेरित बताया।

जस्टिस रामचंद्रन इस पर भड़क गए। उन्होंने कहा कि ‘राज्य सरकार के सामने बुजुर्ग महिला की हैसियत ही क्या है? आप जो कह रहे हैं, इसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। कृपया ऐसा कुछ ना कहें जिसका हमें न्यायिक संज्ञान लेना पड़े। मुझे समझ में नहीं आता कि आप याचिकाकर्ता को बदनाम करने पर क्यों तुले हैं? मैं आपका स्टेटमेंट रिकॉर्ड करूंगा…’

बीच में टोका तो भड़क गए जज

इसके बाद जब जस्टिस रामचंद्रन ने अपना फैसला लिखवाना शुरू किया और शुरुआत इस बात से की कि राज्य सरकार की दलील है कि याचिकाकर्ता के हाईकोर्ट आने के पीछे असल मंशा कुछ और है। इस पर सरकारी वकील ने उन्हें टोंकते हुए कहा कि इस एक शब्द पर इतना जोर क्यों है? जस्टिस रामचंद्रन इससे काफी खफा हो गए। उन्होंने सरकारी वकील से कहा कि कृपया अपने बयान को स्पष्ट करिए। आपने ऐसा क्यों कहा?

बुजुर्ग को अपमानित नहीं होने दे सकता…

इस पर वकील ने कहा कि लॉर्डशिप ने मेरे बयान से सिर्फ एक शब्द को ले लिया। मुझे समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों किया, जबकि ये सिंपल केस है, लेकिन जस्टिस रामचंद्र चंदन का गुस्सा नहीं थमा। उन्होंने कहा कि आपने मेरे खिलाफ जिस तरह का बयान दिया है, उसे स्पष्ट करें। मैं एक बुजुर्ग महिला के साथ खड़ा हूं, इसलिए आपने ऐसी टिप्पणी की। हाईकोर्ट के लिए बुजुर्ग महिला किसी वीआईपी से कम नहीं है। मैंने आपकी बात सुनी जो आपने कहा, लेकिन मैं याचिकाकर्ता को इस तरीके से अपमानित नहीं होने दे सकता।

1600 की पेंशन का मामला

गौरतलब है कि बुजुर्ग महिला ने 1600 रुपये महीने की पेंशन के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने फिलहाल राज्य सरकार की माली हालत को देखते हुए कोई आदेश पारित नहीं किया। जस्टिस रामचंद्रन ने डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी से बुजुर्ग महिला की मदद करने की अपील की। साथ ही अपने अधिकार के लिए हाईकोर्ट आने के बुजुर्ग के जज्बे की भी खुली अदालत में तारीफ की।