गुजरात सरकार पर मानवाधिकार आयोग ने लगाया दस लाख रुपए का हर्जाना, पुलिस हिरासत में हुई थी बंदी की मौत

साल 2015 में भरतपुर के सीकरी निवासी बंदी रामपाल की राजस्थान से गुजरात ले जाते समय पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी जिस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग, जयपुर ने गुजरात राज्य सरकार पर दस लाख रुपए का हर्जाना लगाया है, वहीं हर्जाना राशि दो महीने में मृतक के परिजनों को देने का निर्देश दिया है। इसी के साथ ही आयोग ने अनुसंधान अधिकारी के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कहा है क्योंकि उसकी लापरवाही के कारण ही एक व्यक्ति का जीवन खत्म हुआ। सांभरलेक के सिविल न्यायाधीश नेे जांच रिपोर्ट में कहा कि पुलिसकर्मियों ने आरोपी को निकटवर्ती पुलिस थाने में नहीं रखा।

आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने यह आदेश हरचंदी के प्रार्थना पत्र पर दिया। प्रार्थना पत्र में कहा था कि उसके भाई रामपाल को कलोल पुलिस थाना, गांधीनगर, गुजरात में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 30 अगस्त, 2015 को कलोल थाने के पीएसआई अनिल एस चौहान मय कांस्टेबल जितेन्द्र सिंह व चालक इन्द्रवदन उसे लेकर नासनौदा, थाना दूदू में रुके। उसी रात को पुलिसकर्मियों ने उसके भाई को मार दिया। इसकी औपचारिक सूचना भी अनिल एस चौहान ने ही दी।