नई दिल्ली। बजट से पूर्व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी को भाजपा के साथ गठबंधन के दौरान बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का वादा याद दिलाया था। जवाब में लोकसभा में सरकार ने स्पष्ट रूप से नीतीश कुमार की इस माँग को ठुकराते हुए कहा था कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। लेकिन बजट में जिस तरह से बिहार को लेकर घोषणाएँ की गई हैं, उससे साफ जाहिर है कि बिहार के मुख्यमंत्री की माँग को सरकार ने दूसरे रूप में स्वीकार कर लिया है।
इस बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने केंद्र से विशेष दर्जा या विशेष पैकेज मांगा है, हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बजट में घोषित विशेष मदद राज्य की चिंताओं को दूर करती है। जब पत्रकारों ने एनडीए के प्रमुख सहयोगी नीतीश कुमार की जेडी(यू) से यह पूछा कि क्या वह बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग छोड़ रहे हैं, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से परहेज किया।
एएनआई ने नीतीश कुमार के हवाले से कहा, मैंने लगातार इस (विशेष दर्जे) के बारे में बात की है। मैंने उनसे कहा कि हमें या तो विशेष दर्जा दें या विशेष पैकेज दें... इसके बाद उन्होंने कई चीजों के लिए सहायता की घोषणा की है... हम विशेष दर्जे की बात कर रहे थे और कई लोगों ने कहा कि विशेष दर्जे का प्रावधान बहुत पहले ही खत्म कर दिया गया था। इसलिए, इसके बजाय बिहार की मदद के लिए सहायता दी जानी चाहिए।
बिहार को विशेष दर्जा देने से केंद्र के इनकार पर जदयू सुप्रीमो ने कहा, आपको धीरे-धीरे सारी चीजें पता चल जाएंगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2024 भाषण में बिहार के लिए कई योजनाओं की घोषणा की, जिसमें 26,000 करोड़ रुपये की सड़क संपर्क परियोजनाएं शामिल हैं। केंद्र ने विष्णुपद मंदिर कॉरिडोर और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर के साथ-साथ नालंदा को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की।
बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए की गई घोषणाओं की झड़ी ने विपक्ष को इसे 'कुर्सी बचाओ' बजट कहने पर मजबूर कर दिया, क्योंकि भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए जेडी(यू) और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी पर निर्भर है। जेडी(यू) के लोकसभा में 12 सांसद हैं, जो इसे एनडीए में तीसरा सबसे बड़ा घटक बनाता है।
बिहार विधानसभा में भी विपक्षी दल राजद और कांग्रेस ने राज्य को विशेष दर्जा देने से केंद्र के इनकार के खिलाफ हंगामा किया और नारेबाजी की। विपक्ष की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जब बिहार
में राजद सत्ता में थी, तब राज्य को कभी उसका हक नहीं मिला।
पीटीआई ने मुख्यमंत्री के हवाले से कहा, जो लोग इतना शोर मचा रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि जब वे केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार का हिस्सा थे, तो राज्य
को कभी उसका हक नहीं मिला। आप जो भी प्रगति देख सकते हैं, वह 2005 में हमारे सत्ता में आने के बाद से राज्य सरकार के प्रयासों का परिणाम है। तब तक स्थिति इतनी खराब थी कि पटना जैसे शहर में भी लोग अंधेरा होने के बाद अपने घरों से बाहर निकलने से डरते थे।