कुंदुज एयरपोर्ट पर तालिबान ने MI-24 अटैक हेलीकॉप्टर पर किया कब्जा, भारत ने अफगान एयरफोर्स को 2019 में दिया था गिफ्ट

अफगानिस्तान में तालिबान 5 दिन के भीतर 9 प्रोविंस की राजधानी कब्जा चुका है। इनके नाम हैं- जरांज, फराह, सर-ए-पुल, शबरघान, अयबाक, कुंदूज, फैजाबाद, पुल-ए-खुमरी और तालोकान। इन शहरों के नाम इनके प्रोविंस के नाम पर ही है। तालिबान ने बीते शुक्रवार को जरांज पर कब्जा किया था। अब उत्तर में कुंदुज, सर-ए-पोल और तालोकान से लेकर दक्षिण में ईरान की सीमा से लगे निमरोज प्रोविंस की राजधानी जरांज तक तालिबान का कब्जा है। उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान सीमा से लगे नोवज्जान प्रोविंस की राजधानी शबरघान से भी तालिबान अफगान सेना को खदेड़ चुका है। वहीं, अब खबर है कि तालिबान ने भारत द्वारा अफगानिस्तान को उपहार में दिए MI-24 अटैक हेलिकॉप्टर पर कब्जा कर लिया है। तालिबान ने बुधवार को कुंदुज एयरपोर्ट पर हमला किया। इसी एयरपोर्ट पर भारत का दिया हुआ MI-24 चॉपर भी मौजूद था। तालिबान ने उसे भी अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि, यह हेलिकॉप्टर उड़ने की हालत में नहीं है। अफगानिस्तान की एयरफोर्स ने इसका इंजन और बाकी कलपुर्जे पहले ही निकाल लिए थे। भारत ने 2019 में अफगानिस्तान की एयरफोर्स को ऐसे 4 हेलिकॉप्टर गिफ्ट किए थे।

90 दिनों में काबुल पर कब्जा कर लेगा तालिबान

बुधवार को तालिबानी आतंकियों ने कुंदुज प्रोविंस के आर्मी हेडक्वार्टर पर भी कब्जा कर लिया। इस बीच अमेरिकी एक्सपर्ट्स की एक रिपोर्ट सामने आई है। इसमें बताया गया है कि तालिबान 3 महीने के अंदर काबुल पर कब्जा कर सकता है। शासकीय अधिकारियों ने वॉशिंगटन पोस्ट को जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिकी फौज का अनुमान है कि तीन महीने के अंदर काबुल का पतन हो सकता है।

ये खबर तालिबान के उत्तरपूर्वी प्रांत बदाख्शान की राजधानी फैजाबाद को कब्जे में लेने के एक घंटे बाद आई। फैजाबाद को कब्जे में लेते ही पूरा उत्तरपूर्वी अफगानिस्तान तालिबान के कब्जे में आ जाएगा। जहां से देश का 65% नियंत्रण होता है।

एक वरिष्ठ यूरोपियन यूनियन के अधिकारी ने एसोसिएटेड प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि विद्रोही दलों की 11 और प्रांतों पर कब्जा करने की योजना है जिससे वो काबुल को बुरी तरह से अलग थलग कर सकें।

काबुल इस वक्त उत्तरी फौज के भरोसे है। कई सालों से अफगानिस्तान का उत्तरी हिस्सा ही एकमात्र जगह थी जहां पर शांति स्थापित थी और यहां पर तालिबान की नाम मात्र ही उपस्थिति थी।