तालिबान ने शुरू किया डोर-टू-डोर सर्च अभियान, अफगानी सैनिक और कर्मचारी वर्दी उतारकर हुए अंडरग्राउंड

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे बाद यहां भारी अफरा-तफरी का माहौल है। लोग देश छोड़ने की कोशिशों में लगे हुए हैं और हवाई अड्डे पर भगदड़ मची हुई है। तालिबान के दावों और आश्वासन के बावजूद लोगों में खौफ है और इसी कारण वे देश छोड़ना चाहते हैं। तालिबान के खौफ से पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों ने वर्दी उतार दी है। वे अपने घर छोड़कर अंडरग्राउंड हो गए हैं। तालिबान ने कर्मचारियों, पुलिस और सैन्य अफसरों, पत्रकारों और विदेशी NGO से जुड़े लोगों की तलाश में डोर-टू-डोर सर्च शुरू कर दिया है। काबुल में अफगान सुरक्षाबलों के अब दस्ते नहीं बचे हैं।

औरतों की बंदिशें और कत्ले आम वाला दौर फिर हुआ शुरू

काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में भारी तबाही, औरतों की बंदिशें और कत्ले आम वाला दौर फिर लौट आया है। तालिबान ने महिलाओं पर पाबंदियां लगानी शुरू कर दी हैं। लड़कियों के पढ़ने-लिखे, स्कूल-कॉलेज जाने और महिलाओं के दफ्तर जाने पर रोक लगा दी है। बिना पुरुष के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है। औरतों का बुर्का पहनना जरूरी कर दिया गया है। तालिबान का फरमान नहीं मानने पर कड़ी सजा भी दी जा रही है।

काबुल एयरपोर्ट पर सोमवार को एक चौंकाने वाली खबर सामने आई। एयरपोर्ट के नजदीक कई ऐसी महिलाओं को गोली मार दी गई, जिन्होंने हिजाब नहीं पहना था। हालांकि, तालिबान के एक सूत्र ने इस खबर को गलत बताया है। उसने कहा कि ये अफवाहें तालिबान को बदनाम करने के लिए उड़ाई जा रही हैं।

महिलाएं आजादी की मांग कर रही है

अफगानिस्तान की महिलाएं आजादी मांग रही हैं और अपना दर्द साझा कर रही हैं। अफगानिस्तान की फैशन फोटोग्राफर फातिमा कहती हैं कि अफगानी महिलाएं दुनिया की सबसे स्टाइलिश औरतों में से मानी जाती हैं, लेकिन तालिबान के लौटने से उन्हें फिर से बुर्के में लौटना पड़ रहा है।

22 साल की आयशा काबुल यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस का कोर्स कर रही हैं। वे कहती हैं, 'मेरे फाइनल सेमेस्टर पूरा होने में महज दो महीने ही बाकी रह गए हैं, लेकिन अब शायद मैं कभी ग्रेजुएट नहीं हो पाऊंगी।'

स्कूल-कॉलेज बंद, बुर्के की दुकानें खुली

यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली 26 साल की हबीबा कहती हैं कि तालिबान ने स्कूल-कॉलेज बंद करवा दिए हैं, लेकिन बुर्के की दुकानें खुल रही हैं। इनमें भी मोटे कपड़े वाले ऐसे बुर्के की मांग सबसे ज्यादा है, जो महिलाओं को पूरी तरह ढंक देता हो। मेरी मां मिन्नतें कर रही हैं कि मैं और मेरी बहन बुर्का पहनना शुरू कर दें। मां को लगता है कि वे हमें बुर्का पहनाकर तालिबान से बचा लेंगी, लेकिन हमारे घर में बुर्का है ही नहीं और न ही मैं बुर्का खरीदना चाहती हूं। बुर्का पहनने का मतलब होगा कि मैंने तालिबान की सत्ता को स्वीकार कर लिया है कि मैंने उन्हें खुद को कंट्रोल करने का अधिकार दे दिया है। मुझे डर है कि जिन उपलब्धियों के लिए मैंने इतनी मेहनत की वो सब मुझसे छिन जाएंगी।

काबुल एयरपोर्ट पर हुए हादसे में 7 लोगों की मौत

बताया जा रहा है कि सोमवार सुबह अमेरिकी प्लेन से लटककर भागने के दौरान 7 लोगों की जान गई है। वहीं अमेरिकी सैनिकों ने काबुल एयरपोर्ट पर दो हथियारबंद लोगों को मार गिराया। न्यूज एजेंसी एएफपी ने पेंटागन के हवाले से ये रिपोर्ट दी है।

अफगानिस्तान में भूकंप के झटके

अफगानिस्तान में जारी संकट के बीच यहां आज सुबह भूकंप के झटके आए। सुबह 6:08 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.5 मापी गई। भूकंप का केंद्र फैजाबाद से 83 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में था। भूकंप के इन झटकों से फिलहाल किसी तरह के जान माल के नुकसान की खबर सामने नहीं आई है।

महंगाई कई गुना बढ़ गई

अफगानिस्तान की मुद्रा का तेजी से अवमूल्यन हुआ है। इससे लोगों को कहीं आने जाने या वीजा हासिल करने में पहले से काफी अधिक खर्च हो रहा है। पहले एक डॉलर करीब 70 अफगानी रुपये में मिल रहा था। अब यह बढ़कर 80 रुपये से अधिक हो गया है। इससे महंगाई कई गुना बढ़ गई है, जिससे अफगानी नागरिकों के लिए मुश्किलें और बढ़ गई हैं।