बोतलों को क्रश करके बनाई जा रही टीशर्ट और कैप, सामान्य के मुकाबले में अधिक टिकाऊ

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए रेलवे ने अनोखा कदम उठाया है। रेलवे स्टेशनों पर फेंकी जाने वाली पानी की खाली बोतलों से अब टीशर्ट और कैप बनाई जा सकेंगी। इसके लिए रेलवे ने स्टेशनों पर रिवर्स वेंडिंग मशीन लगाई है। जिसमें पानी की प्लास्टिक की बोतलों को क्रश कर इससे टी-शर्ट और टोपी बनाई जा रही है। रेलवे इसका सफल प्रयोग बिहार के पटना रेलवे स्टेशन से कर चुका है। अब देश के 2250 स्टेशनों में मशीन लगाने की तैयारी है। जहां इन बोतलों को रिसाइकिल कर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकेगा। रेलवे बोर्ड की एडीजी स्मिता वत्स शर्मा ने बताया कि रेलवे में रोजाना करीब 16 लाख पानी की बोतल इस्तेमाल होती हैं।

इस प्रयोग के तहत प्रति स्टेशन औसत 300 बोतलें रोजाना क्रश की जा सकेंगी। इसके हिसाब से 2250 स्टेशनों में रोजाना 7 लाख बोतलें क्रश होंगी। जिनसे करीब 58 हजार टीशर्ट बनाई जा सकेंगी। पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ राजेश कुमार ने बताया कि पटना, राजेंद्र नगर और दानापुर में बोतल क्रश मशीन लगाई जा चुकी हैं, पटना स्टेशन से रोजाना करीब 300 बोतलें क्रश मशीन में डाली जा रही हैं।

12 बोतलों को क्रश करके बनाई जा रही एक टीशर्ट

प्लास्टिक से बनाई गई टी-शर्ट सभी मौसम में पहनने लायक होंगी। जल्द ही इन प्लास्टिक की बोतलों से बना टी-शर्ट बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध होगा। रांची में ऐसी ही टी-शर्ट्स की प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। बोतलों को क्रश कर टीशर्ट बनाने वाली स्टार्टअप कंपनी बायोक्रश के सीईओ अजय मिश्रा के मुताबिक, इससे बनी टीशर्ट सामान्य टीशर्ट के मुकाबले अधिक टिकाऊ होती है। एक टीशर्ट के तैयार करने में करीब 12 बोतलों के उत्पाद की जरूरत होती है।