निलम्बित सांसदों ने किया विरोध प्रदर्शन, विशेषाधिकार समिति के पास जांच के लिए भेजा ब्रायन का मामला

नई दिल्ली। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को संसद की सुरक्षा में चूक पर प्रदर्शन करना और निलम्बन के बाद भी संसद से बाहर न जाना परेशानी वाला सबब बन गया है। राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने उनका यह मामला विशेषाधिकार समिति को जाँच के लिए भेज दिया है। इस बीच धनखड़ ने कहा कि डेरेक का सदन में बने रहना आदेश का गंभीर उल्लंघन और जानबूझकर की गई अवहेलना है। वहीं, अपने निलंबन को लेकर टीएमसी सांसद सहित सभी 15 सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया है। कुल 15 सांसदों को शीतकालीन सत्र के शेष भाग के लिए निलंबित कर दिया गया। इसमें 14 लोकसभा से और 1 राज्यसभा से हैं।

राज्यसभा ने डेरेक ओ'ब्रायन का मामला विशेषाधिकार समिति के पास भेजा

सदन से निलंबन के बाद उनके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें उनके आचरण को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति को भेजने की मांग की गई थी। दरअसल, डेरेक के निलंबन को लेकर शुरू हुए विपक्ष के हंगामे के कारण सदन को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया था। जब शाम चार बजे राज्यसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो सभापति जगदीप धनखड़ ने निलंबित सदस्य ओ'ब्रायन को पारित आदेश के अनुपालन में सदन छोड़ने के लिए कहा। बावजूद इसके जब वे सदन से बाहर नहीं गए।

तब धनखड़ ने कहा कि ओ'ब्रायन का सदन में बने रहना आदेश का गंभीर उल्लंघन और जानबूझकर की गई अवहेलना है। इसके बाद, सदन के नेता पीयूष गोयल ने इस मुद्दे को राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति को भेजने के लिए नियम 192 के तहत एक प्रस्ताव पेश किया। जिसे सभापति ने तुरंत स्वीकार कर लिया और ध्वनि मत से पारित कर दिया।

इसके बाद सभापति धनखड़ ने डेरेक ओ ब्रायन के मामले को जांच करने के लिए राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति को भेजे जाने की घोषणा की। उन्होंने समिति को रिपोर्ट के लिए तीन महीने का वक्त भी दिया है। बता दें कि सदन से निलंबन और प्रस्ताव पारित करने के बाद भी ओ'ब्रायन ने सदन नहीं छोड़ा तब सभापति ने उनसे दोबारा आग्रह किया। लेकिन जब वह न माने तो सदन को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।