बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, आधुनिक सुविधाएँ, तकनीक और भाग-दौड़ भरी जिन्दगी ने आम इंसान को मशीन बना दिया है। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि अब इंसान बच्चा भी मशीनी अंदाज में पैदा करता है। महिलाएँ गर्भवती होने के बाद लगातार काम करती रहती हैं और बच्चा पैदा होने के कुछ दिन या चंद घंटे पूर्व वे डॉक्टर के पास जाती हैं। पहले जहाँ सुकून से नए मेहमान के आने का इंतजार होता था, अब वह परेशानी का सबब बन गया है। अब एक से ज्यादा बच्चा दम्पति पसन्द नहीं कर रहा है। इस बात का खुलासा हाल ही में सरकारी आंकड़ों से हुआ है।
एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में सिर्फ 24 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएँ दूसरा बच्चा चाहती हैं। सरकारी डाटा के अनुसार इसमें 10 साल में 68 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई। यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री के नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे द्वारा इस बात का खुलासा हुआ है। 15 से 49 साल के बीच की शादीशुदा महिलाओं पर सर्वे किया गया जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि सिर्फ 24 प्रतिशत महिलाएँ दूसरा बच्चा चाहती थीं। वहीं पुरुषों में यह संख्या 27 प्रतिशत थी।
एक्सपर्ट ने बताया कि इसका कारण अच्छा करियर, उच्च स्तर का जीवन जीना और देरी से मां बनना है। वहीं शहर में रहने वाले पढ़े लिखे जोड़े अपने उम्र के 30वें और शुरुआती 40वें वर्ष में डॉक्टर के पास पहले बच्चे की प्लानिंग करने के लिए आते हैं। ज्यादातर जोड़े देरी से बच्चा करना चाहते हैं क्योंकि वे अपना करियर बनाना चाहते हैं या वे शादी ही देर से करते हैं। वहीं कुछ जोड़े एक ही बच्चे से खुश हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 54 प्रतिशत महिलाओं के दो बच्चे थे। वहीं 25 से 29 साल के बीच की 16 प्रतिशत महिलाओं के एक भी बच्चा नहीं था। पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के निदेशक का कहना है कि रोज बदलती जीवनशैली को देखते हुए लोगों में बच्चों को अच्छी पढ़ाई, अच्छे कपड़े, गैजेट्स और सभी तरह की लक्जरी देने के लिए वे दूसरा बच्चा पैदा करना ही नहीं चाहते।