सूरत हादसा: इमारत में तीसरी मंजील बिल्डर ने अवैध रूप से बनाई थी, जो बन गई मौत का जाल

शुक्रवार को सूरत की जिस इमारत में भीषण आग लगी उसकी तीसरी मंजील बिल्डर ने अवैध रूप से बनाई थी। इस कॉम्प्लेक्स के ऊपर के मंजिलों पर जाने के लिए लकड़ी की केवल एक सीढ़ी थी, जो आग लगते ही जल गई। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि भवन में सिर्फ एक तरफ से प्रवेश करने और निकलने का रास्ता था, जबकि मंजिलों पर जाने के लिए लकड़ी की एक सीढ़ी थी। आग लगने पर लकड़ी की सीढ़ी जल गई, जिससे आग से बचने के लिए सीढ़ी से उतरने का ऑप्शन नहीं था। इसलिए विद्यार्थी जान बचाने के लिए छत से कूदने लगे। संदेह जताया जा रहा है कि आग या तो एयर कंडिशनर कंप्रेसर या किसी इलेक्ट्रिकल उपकरण से लगी है। घटना के बाद यह पता चला है कि सूरत नगर निगम (एसएमसी) के पास स्थित तक्षशिला आर्केड में अवैध निर्माण किया गया था। गैरकानूनी रूप से छत पर खड़ा विशाल गुंबद वराछा रोड पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने आसानी से इसे नजरंदाज कर दिया।

News18Hindi की खबर के अनुसार, तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में फर्स्ट फ्लोर, सेकेंड फ्लोर और एक टॉप फ्लोर बनाकर उसे एक गुंबद से कवर कर दिया गया था, जबकि यह इमारत मात्र एक डूप्लेक्स थी। इमारत के पहले तीन तलों पर दुकानें और ऑफिस थी और टॉप फ्लोर पर एक जिम के साथ-साथ समर क्लासेज चलाई जा रही थीं। समर क्लासेज के तहत फैशन डिजाइनिंग, परसनालिटी डेवलपमेंट कोर्स और अन्य कोर्स चलाए जा रहे थे। इनमें से 10वीं और 12वीं कक्षा की कोचिंग भार्गव पटेल (भूतानी) चला रहा था। इसके टॉप फ्लोर पर राजीव पटेल वैदिक-मैथ्स की कोचिंग चला रहा था।

3 लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज

इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है। आरोपियों में हरसुल वेकरिया उर्फ एचके, जिज्ञेश सवजी पाघडाल और भार्गव बूटाणी शामिल हैं। पुलिस की प्राथमिक जांच में पता चला है कि हरसुल और जिज्ञेश ने बिल्डर से पूरी मंजिल खरीदी थी, उसके बाद अवैध निर्माण करवाया था। जबकि, भार्गव बूटाणी ड्राइंग क्लासेस का संचालक है।

भीषण आग की वजहों की जांच

गुजरात के सूरत स्थित तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में शुक्रवार देर शाम लगी भीषण आग की वजहों की अभी जांच की जा रही है। हालांकि शुरुआती छानबीन में सामने आया है कि इस इमारत के पास लगे बिजली के खंबे (इलेक्ट्रिल पोल) में शॉर्ट सर्किट के बाद आग लगी थी। इसी आग पर वक़्त रहते किसी ने ध्यान नहीं दिया और वो तेज़ी से फैल गई। वही आग लगने की घटना में मरने वालों की संख्या 21 हो गई है। 26 से ज्यादा घायल हैं। मरने वालों में एक टीचर और 20 बच्चे शामिल हैं। आग के बाद अस्पताल में भर्ती लोगों में से तीन की हालत गंभीर बनी हुई थी, लेकिन इनको बचाया नहीं जा सका। हादसा इतना दर्दनाक था कि परिजन को अपने मृतक बच्चों की पहचान करना मुश्किल हो गया। उन्होंने घड़ी से और मोबाइल पर घंटी देकर शिनाख्त की। कई तो घंटों तक भटकते रहे। हादसा शुक्रवार दोपहर 3:40 बजे शॉर्ट सर्किट की वजह से हुआ।

एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार, सूरत शहरी विकास प्राधिकरण (SUDA) वारछा के जोनल चीफ डीसी गांधी ने बताया कि, '2001 में सूडा ने ‘टाउन प्लानिंग स्कीम नंबर 22’ के तहत इस टाउन में एक आवासीय भवन बनाने की अनुमति दी थी। इसके बाद 2007 में अवैध रूप से यहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर लिया गया। 2012 में जब बिल्डिंग रेगुलाइजेशन के नियम बनाए गए, उसके तहत 2013 में इंम्पैक्ट-फी का भुगतान करके इस अवैध भवन को कानूनी रूप से नियमित कराकर दूसरी मंजिल को वैध घोषित करा दिया गया।” इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि इमारत में अग्नि सुरक्षा के नियमों का कोई अनुपालन नहीं किया गया था क्योंकि नियमानुसार केवल जमीन और तीन मंजिल भवन ही अनिवार्य अग्नि सुरक्षा कानून के तहत आते हैं। कोचिंग क्लासेस के संचालक अवैध गुंबदनुमा बिल्डिंग के तीसरे तल पर नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट फॉर आर्किटेक्चर (NATA) परीक्षा के लिए कक्षाएं चला रहे थे।

हाल के दिनों में आग लगने की बड़ी घटनाओं में छात्रों के मारे जाने के बाद भी स्थानीय नागरिक निकाय द्वारा इस भवन की अवैध तीसरी मंजिल की अनदेखी करने से स्थानीय निवासी बहुत गुस्साए हुए हैं। गौरतलब है कि 26 नवंबर, 2018 को सूरत के वेसु क्षेत्र में आगम आर्केड में आग लगने से तीन छात्रों और एक शिक्षक की मौत हो गई थी।एक अनुमान के मुताबिक, 3 लाख से अधिक छात्र शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में स्थित लगभग 3,000 कोचिंग सेंटरों में जाते हैं, जिनमें से कुछ बेहद जीर्ण और खतरनाक हैं।