अयोध्या विवाद : मध्यस्थता पर मुस्लिम संगठन राजी, हिन्दुओ ने ठुकराया श्री श्री रविशंकर को

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मध्यस्थता के जरिए इस मसले को सुलझाने का आदेश दिया है। माना जा रहा है कि बातचीत से सालों से चले रहे इस विवाद का निपटारा किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला, आध्‍यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्‍ठ वकील श्रीराम पांचू को मध्‍यस्‍थ नियुक्‍त किया। उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएम कलीफुल्ला राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मध्यस्थता करने वाले पैनल के मुखिया होंगे। आज आया फैसला कई मायनों में अहम है क्योंकि इस बातचीत कोर्ट की निगरानी में होगी। बता दे, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि वह अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजा जाए या नहीं इस पर आदेश देगा। साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि मुगल शासक बाबर ने जो किया उसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं और उसका सरोकार सिर्फ मौजूदा स्थिति को सुलझाने से है। इससे पहले, फरवरी महीने में शीर्ष अदालत ने सभी पक्षकारों को दशकों पुराने इस विवाद को मैत्रीपूर्ण तरीके से मध्यस्थता के जरिये निपटाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था। न्यायालय ने कहा था कि इससे "संबंधों को बेहतर" बनाने में मदद मिल सकती है।

हिन्दुओ ने ठुकराया श्री श्री रविशंकर को

रामलला विराजमान और अन्य हिन्दूवादी संगठन मध्यस्थता का विरोध कर रहा है। जबकि मुस्लिम संगठनों ने इसका समर्थन किया है। मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि निर्मोही अखाड़ा मध्यस्थता के लिए तैयार है।

हिंदू संगठनों का कहना है कि श्री श्री रविशंकर को राम मंदिर मामले में लाना गलत है और हम कोर्ट के फैसले पर विचार करने के बाद आगे का कदम उठाएंगे। वहीं मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है की मध्यस्थता के लिए पैनल बनाया गया है इससे हल हो जाए तो बेहतर है। लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल है क्योंकि कई पक्षकार हैं। पहले भी हमारे वालिद और ज्ञानदास ने कोशिश की थी। लेकिन इसमें राजनीति होती रही।

कैमरे के सामने होगी प्रक्रिया

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कहा है, 'कोर्ट की निगरानी में होने वाली मध्यस्थता की प्रक्रिया गोपनीय रखी जाएगी।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता की प्रक्रिया कैमरे के सामने होनी चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी।

कोर्ट ने कहा था, भावनाओं से जुड़ा है मामला

बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह केवल जमीन का नहीं बल्कि लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला है। संविधान पीठ में CJI के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को प्रमुखता से कहा था कि मुगल शासक बाबर ने जो किया उसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और उसका सरोकार सिर्फ मौजूदा स्थिति को सुलझाने से है।