
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन शामिल हैं, अब तक इस मामले में 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध कर चुकी है।
यह अधिनियम 4 अप्रैल को संसद से पारित हुआ था और 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद 8 अप्रैल से प्रभावी हो गया। अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना है, साथ ही विरासत स्थलों की सुरक्षा और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना भी है।
किसने दाखिल की हैं याचिकाएं?इस कानून को चुनौती देने वाले प्रमुख याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं:
• एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी
• आप नेता अमानतुल्लाह खान
• एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स
• अर्शद मदनी,
• सामस्थ केरल जमीयतुल उलेमा,
• अंजुम कादरी,
• तैय्यब खान सलमानी,
• मोहम्मद शफी,
• मोहम्मद फ़ज़लुर्रहीम,
• और आरजेडी नेता मनोज कुमार झा।
इसके अलावा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और समाजवादी पार्टी सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने भी सुप्रीम कोर्ट में नई याचिकाएं दाखिल की हैं, जिनकी सुनवाई अभी सूचीबद्ध नहीं हुई है।
अन्य प्रमुख दलों में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) और तमिलगा वेत्त्री कषगम के अध्यक्ष व अभिनेता-राजनीतिज्ञ विजय भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
एक अन्य याचिका अधिवक्ता हरिशंकर जैन और याचिकाकर्ता मणि मुंजाल की ओर से दाखिल की गई है, जिसमें तर्क दिया गया है कि इस कानून के कई प्रावधान गैर-मुस्लिमों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने इस याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, डीएमके, और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी व मोहम्मद जावेद भी प्रमुख याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने डाला कैविएट8 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट (Caveat) दायर किया था, ताकि कोर्ट किसी भी आदेश से पहले सरकार का पक्ष सुने।
कैविएट एक कानूनी सुरक्षा उपाय होता है, जो अदालत को यह सूचित करता है कि किसी याचिका पर निर्णय लेने से पहले उस पक्ष को सुना जाए, जिसने कैविएट दायर किया हो।
यह कानून संसद में बहस के दौरान काफी विवादों के बीच पारित हुआ था। राज्यसभा में 128 सांसदों ने समर्थन किया जबकि 95 ने विरोध किया। वहीं लोकसभा में 288 सांसद पक्ष में और 232 विपक्ष में थे।