सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, कहा - शवों के साथ हो रहा मरीजों का इलाज

देश में कोरोना से अब तक 8498 लोगों की जान जा चुकी है और संक्रमित मामले भी तीन लाख के पास पहुंच गए है। इन सबके बीच अस्पतालों में कोरोना मरीजों के शवों के साथ गलत व्यवहार की घटनाएं भी सामने आ रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब महामारी का संक्रमण बढ़ रहा है तो चेन्नई और मुंबई की तुलना में दिल्ली में जांच कम क्यों की जा रही हैं।अदालत की ओर से कहा गया कि कोरोना के बढ़ते संकट के बावजूद दिल्ली में टेस्टिंग को घटा दिया गया है। दिल्ली में अब रोज पांच हजार के करीब ही टेस्ट हो रहे हैं।

इसके साथ ही कोरोना मरीजों की शवों के साथ गलत और अमानवीय व्यवहार पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ​देश की राजधानी में कोरोना मरीजों की मौत के बाद उनके परिजनों को इस बारे में जानकारी तक नही दी जा रही है। कई ऐसे मामले भी देखने को मिले हैं, जिसमें कोरोना मरीजों के परिजन उनके अंतिम संस्कार में इस लिए शामिल नहीं हो सके क्योंकि उनके खबर देने तक की जहमत नहीं उठाई गई। दिल्ली के अस्पतालों में गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। अस्पताल डेड बॉडी का रख रखाव और निपटारा केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए नियमों के मुताबिक नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा दिल्ली सरकार और यहां के अस्पताल जिस तरह से कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं और शवों के साथ जैसा व्यवहार किया जा रहा है वह काफी भयानक और डरावना है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि अस्पतालों में हर जगह बॉडी फैली हुई है और लोगों का उसी जगह पर इलाज भी किया जा रहा है।

जस्टिस एमआर शाह ने सख्त लहजे में कहा कि अगर लाशें कचरे के ढेर में मिल रही हैं तो इसका मतलब है कि इंसान के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया जा रहा है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और राजधानी के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल को मामले में जवाब देने को कहा है।