सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक बड़े फैसले में जंतर-मंतर प्रदर्शन से लगी रोक को हटाने का फैसला सुनाया है। कोर्ट के आदेश के बाद अब बोट क्लब पर भी प्रदर्शन हो सकेंगे। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से इस मामले में 2 हफ़्ते में गाइडलाइंस बनाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शांतिपूर्वक धरना-प्रदर्शन मौलिक अधिकार है और क़ानून व्यवस्था के बीच संतुलन जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर लगी रोक हटाते हुए कहा कि यहां पूरी तरह बैन नहीं लग सकता। बता दें कि अक्टूबर 2017 में एनजीटी के आदेश के बाद से जंतर-मंतर पर कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हो रहे थे। दिल्ली पुलिस ने 10 अक्टूबर से ही जंतर-मंतर पर होने वाले धरना-प्रदर्शन को बंद कर दिए थे। इस रोक के बाद सालों से धरना-प्रदर्शन का गढ़ और अभिव्यक्ति की आजादी का एक सिंबल रहा जंतर-मंतर बिल्कुल शांत हो गया था। इस फैसले से यहां प्रदर्शन करने वालों को काफी राहत जरूर मिलेगी।
कोर्ट ने कहा कि धरने प्रदर्शन को नियंत्रत करने को लेकर गाइडलाइन के लिए केंद्र सरकार और पुलिस सिफारिशें दाखिल करें। कोर्ट ने यातायात संबंधी एजेंसियों से भी प्रदर्शन के वक्त यातायात सुचारू चले इसके लिए गाइडलाइन और सिफारिशें मांगी थी।
दरअसल मजदूर किसान शक्ति संगठन ( MKSS), इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट व अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने के की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि पिछले साल अक्तूबर में NGT ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी जबकि पूरी सेंट्रल दिल्ली में दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा के लिए धारा 144 लगाई गई है। ऐसे में लोगों के शांतिपूर्व प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। उनका ये भी कहना है कि संविधान से मिले मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता और दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की गई धारा 144 मनमानी और गैरकानूनी है। याचिका में संगठन ने सुझाया है कि इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक तौर पर इजाजत दी जा सकती है।