सुप्रीम कोर्ट का ईवीएम के साफ्टवेयर की ऑडिट की याचिका पर सुनवाई से इंकार, निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने उस याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिसमें ईवीएम के साफ्टवेयर की ऑडिट कराने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा कि ऐसा कुछ उनके सामने नहीं आया है जिससे यह साबित हो कि चुनाव आयोग ने ‘‘संवैधानिक शासनादेश का उल्लंघन किया है।’’

कोर्ट ने कहा, “निर्वाचन आयोग पर चुनाव के नियंत्रण की जिम्मेदारी है”

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग पर चुनाव के नियंत्रण की जिम्मेदारी है। वर्तमान में याचिकाकर्ता ने इस अदालत के समक्ष कार्रवाई करने योग्य ऐसी कोई सामग्री पेश नहीं की है जो यह दिखाती हो कि चुनाव कराने में निर्वाचन आयोग ने ‘‘संवैधानिक शासनादेश का उल्लंघन किया है। हमारे सामने ऐसा कोई तथ्य नहीं है जो ईवीएम को लेकर शक पैदा करता हो।’’

याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘ईवीएम सोर्स कोड से ही चलता है और लोकतंत्र के संबंध में है’

याचिका दाखिल करने से पहले, याचिकाकर्ता सुनील अहया ने ईवीएम के सोर्स कोड का स्वतंत्र ऑडिट कराने के अनुरोध संबंधी पत्र निर्वाचन आयोग के समक्ष दिए थे। अहया ने कहा,‘‘ईवीएम सोर्स कोड से ही चलता है और यह लोकतंत्र के संबंध में है।’’

सुप्रीम कोर्ट ने स्टालिन और राज्य सरकार से माँगा जवाब

उधर, उच्चतम न्यायालय ने “सनातन धर्म को मिटाने” संबंधी टिप्पणी के लिए तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर स्टालिन और राज्य सरकार से शुक्रवार को जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने बी. जगन्नाथ नामक व्यक्ति की याचिका पर नोटिस जारी किए, जिसमें स्टालिन के खिलाफ इस आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई कि टिप्पणियां नफरती भाषण के समान हैं और शीर्ष अदालत ने इस तरह के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने समेत कई निर्देश पारित किए थे।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दामा शेषाद्री नायडू ने कहा कि मंत्री ने कथित तौर पर स्कूली छात्रों से कहा कि यह धर्म अच्छा नहीं है और दूसरा धर्म अच्छा है। नायडू ने कहा, “इस अदालत ने ऐसे मामलों पर ध्यान दिया है, जिनमें किसी व्यक्ति ने दूसरे धर्म के खिलाफ ऐसा बयान दिया था, लेकिन इस मामले में बयान एक मंत्री ने दिया है। यहां एक राज्य की बात है, जो स्कूली छात्रों को बता रहा है कि अमुक धर्म गलत है।”