सुप्रीम कोर्ट का वक्फ एक्ट पर तत्काल सुनवाई से इंकार, मुख्य न्यायाधीश ने कहा व्यवस्था मौजूद है

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक व्यवस्था मौजूद है।

याचिका में नए अधिसूचित वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है और केंद्र को कानून को लागू करने को स्थगित करने के निर्देश देने की मांग की गई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा दायर याचिका का उल्लेख किया।

सिब्बल ने पीठ से मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आग्रह किया, जिसमें कई याचिकाओं द्वारा उठाई गई चिंताओं को उजागर किया गया। हालांकि, सीजेआई ने दोहराया कि सभी जरूरी मामले दोपहर में उनके समक्ष रखे जाएंगे और अदालत उन्हें तदनुसार सूचीबद्ध करने पर निर्णय लेगी।

बार-बार मौखिक उल्लेख की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, जब हमारे पास एक व्यवस्था है तो आप उल्लेख क्यों कर रहे हैं? उन्होंने आश्वासन दिया कि दोपहर में मामलों की समीक्षा की जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

केंद्र सरकार द्वारा कानून की अधिसूचना जारी किए जाने के बाद से वक्फ अधिनियम संशोधन से संबंधित कई याचिकाओं का उल्लेख शीर्ष अदालत के समक्ष किया गया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसे पहले संसद ने दोनों सदनों में गरमागरम बहस के बाद पारित किया था।

इस अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अनेक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से एक याचिका समस्त केरल जमीयतुल उलेमा की है।

अपनी याचिका में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा है कि यह कानून देश के संविधान पर सीधा हमला है, जो न केवल अपने नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है, बल्कि उन्हें पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है।

जमीयत ने कहा, यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनने की एक खतरनाक साजिश है। इसलिए, हमने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है और जमीयत उलमा-ए-हिंद की राज्य इकाइयां भी अपने-अपने राज्यों के उच्च न्यायालयों में इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देंगी।