माफी अस्‍वीकार, कार्रवाई से बचने के लिए मगरमच्छ के आंसू..., विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार

कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट ने तीखी फटकार लगाई है। कोर्ट ने न केवल उनकी माफी को अस्वीकार किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह माफी सच्चे हृदय से नहीं, बल्कि कार्रवाई से बचने के लिए दी गई प्रतीत होती है।

जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने सोमवार, 19 मई 2025 को सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता माफी पर लगातार जोर दे रहे हैं, लेकिन कोर्ट यह जानना चाहता है कि वह माफी किस प्रकार की है। उन्होंने कहा कि कई बार लोग कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं और यह अदालत यह देखने के लिए वीडियो मंगवाएगी कि विजय शाह ने किस भावना से क्षमा मांगी।

वकील ने कोर्ट को बताया कि 15 मई के आदेश के खिलाफ एक नई विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की गई है और साथ ही विजय शाह ने विवादित बयान पर वीडियो जारी कर सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी है।

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने तीखे शब्दों में कहा, हमने आपका वीडियो मंगवाया है ताकि देख सकें कि आपने माफी किस तरीके से मांगी है। माफी का भी एक अर्थ होता है। कई बार लोग केवल कार्रवाई से बचने के लिए भावनात्मक दिखने की कोशिश करते हैं, जिसे मगरमच्छ के आंसू कहा जाता है। हम देखेंगे कि यह माफी उसी श्रेणी में आती है या नहीं।

उन्होंने आगे कहा, हमें इस तरह की माफी की आवश्यकता नहीं है। आपने एक गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया। आपको अपने पद की गरिमा और जिम्मेदारी का ध्यान रखना चाहिए था। सेना का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हम सैनिकों और सेना का गहरा सम्मान करते हैं।

जस्टिस सूर्यकांत ने मंत्री विजय शाह की टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए कहा, आपकी टिप्पणी पूरी तरह से बिना सोचे-समझे की गई प्रतीत होती है। आप अपनी माफी पर ज़ोर दे रहे हैं लेकिन ईमानदारी से प्रयास करने से आपको किसने रोका? यह न्यायालय की अवमानना नहीं है, लेकिन आप यहां आए हैं और अब माफी मांग रहे हैं – क्या यही आपका रवैया है?

उन्होंने आगे कहा, आप एक जनप्रतिनिधि हैं, एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं। आपको बोलते समय शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। मीडिया आपकी बातों की गहराई तक नहीं जा रहा, लेकिन कोर्ट देखेगा कि मंच से आपने कैसी घटिया और अपमानजनक भाषा का उपयोग किया। यह सेना से जुड़ा मामला है और इससे हम सबकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।

जब विजय शाह ने कहा, मैं दिल से क्षमा चाहता हूं, तो सुप्रीम कोर्ट ने फिर माफी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। जज ने उनके वकील से आगे की दलील प्रस्तुत करने को कहा और स्पष्ट किया कि मंत्री का आचरण अनुकरणीय होना चाहिए।

एक बार फिर जब वकील ने माफी मांगी, तो कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की, बाद में आप कहेंगे कि कोर्ट के कहने पर माफी मांगी। आपके बयान को कई दिन हो चुके हैं और इससे पूरे देश में नाराजगी फैली है। अगर आपकी भावना सच्ची होती तो आप ‘अगर-मगर’ लगाकर खेद नहीं जताते।