नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को असम सरकार को नोटिस जारी कर 48 नागरिकों द्वारा दायर अवमानना याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में राज्य सरकार पर संरचनाओं को गिराने के शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के अधिकारियों को अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का भी निर्देश दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की दो सदस्यीय पीठ ने असम सरकार को 21 दिनों में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता के वकील हुजेफा अहमदी ने असम सरकार की कार्रवाई को शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन करार दिया। हालांकि, पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि असम सरकार ने कोई तोड़फोड़ नहीं की है।
अदालत ने अपने निर्देश में कहा, ... अभी तक कोई तोड़फोड़ नहीं की गई है... हम एक नोटिस जारी करेंगे। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि अदालत की मंजूरी के बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।
48 याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि असम के अधिकारियों ने अदालत के फैसले की अनदेखी की और उनके घरों को ध्वस्त करने के लिए चिह्नित किया, और कहा कि उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया है।
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि वे मूल भूमिधारकों के साथ पावर ऑफ अटॉर्नी समझौतों के आधार पर दशकों से संपत्ति पर रह रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि निवासियों को निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिए बिना और उन्हें उनके घरों और आजीविका से वंचित किए बिना ध्वस्तीकरण किया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।