ताजमहल के बदलते रंग पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताजमहल पहले पीले रंग का हुआ और अब भूरे और हरे रंग का होता जा रहा है। केंद्र और यूपी सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को देशी-विदेशी विशेषज्ञों का सहयोग लेकर इस नुकसान का आकलन और फिर इसका समाधान निकालने को कहा गया है।
जस्टिस एमबी लोकुर और दीपक गुप्ता के बेंच ने सरकार से कहा, ‘हमें नहीं मालूम कि आपके पास विशेषज्ञ हैं या नहीं। अगर आपके पास विशेषज्ञ हैं तो भी ऐसा लगता है कि आप उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे है। या शायद आपको कोई चिंता ही नहीं है। ताज को बर्बाद होने देने से पहले ही हमें देश के बाहर किसी विशेषज्ञ संस्था से परामर्श लेना चाहिए।’ पीठ ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि ताज को अपने पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए आप विदेश के साथ-साथ देश के विशषज्ञों की भी मदद ले सकते हैं।
वास्तव में याचिकाकर्ता व पर्यावरणविद् एमसी मेहता ने ताज की तस्वीर दिखाते हुए पीठ को बताया कि ताजमल के रंग में बदलाव हो रहा है। इस पर पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) एएनएस नादकर्णी से पूछा कि आखिर ताजमहल का रंग क्यों बदल रहा है। अगली सुनवाई नौ मई को होगी।
प्रदूषण और पेड़ों की कटाई रोकने की गुहार
मालूम हो कि शीर्ष अदालत पर्यावरणविद् एमसी मेहता की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें प्रदूषण और आसपास के इलाकों में पेड़ों की कटाई के कारण ताज को हो रहे नुकसान से बचाने की गुहार की गई है। शीर्ष अदालत ताजमहल के आसपास होने वाले विकास कार्यों की निगरानी कर रही है। इस स्मारक को यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। फिलहाल कोर्ट ने अगली सुनवाई 9 मई को रखी है।