नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट के जमानत के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करके बड़ी राहत दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
एक उल्लेखनीय फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अच्छी तरह से स्थापित है और वह इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि हाईकोर्ट की टिप्पणी किसी भी तरह से चल रहे मुकदमे को प्रभावित नहीं करेगी।
झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी JMM नेता सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले ही हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सोरेन ने 4 जुलाई को फिर से सीएम पद की शपथ ली। झारखंड हाईकोर्ट ने सोरेन को जमानत देते हुए कहा था कि मामले को देखते हुए याचिकाकर्ता द्वारा समान प्रकृति का अपराध करने की कोई संभावना नहीं है।
सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने राज्य की राजधानी में बड़गाम अंचल में 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री के अपने पद का दुरुपयोग किया था।
ईडी ने दावा किया था कि जांच के दौरान हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने स्वीकार किया था कि पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें उक्त भूखंड के स्वामित्व में बदलाव करने के लिए आधिकारिक आंकड़ों से छेड़छाड़ करने का निर्देश दिया था। ईडी ने कहा था कि भूखंड पर जब कब्जा किया जा रहा था, तब उसके असली मालिक राजकुमार पाहन ने शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन उस पर कभी कार्रवाई नहीं हुई। हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए ईडी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।