कोरोना का कहर! सुप्रीम कोर्ट का सरकार से सवाल - क्या वैक्सीनेशन ही सबसे बड़ा विकल्प है?

कोरोना की दूसरी लहर में देश ऑक्सीजन, वेंटिलेटर्स, बेड और वैक्सीन की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र से सवाल किया कि संकट से निपटने के लिए आपका नेशनल प्लान क्या है? क्या इससे निपटने के लिए वैक्सीनेशन मुख्य विकल्प है। इस पर केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार हाई लेवल पर इस मसले पर काम कर रही है और परेशानियां दूर करने के लिए प्रधानमंत्री खुद इसे देख रहे हैं। आपको बता दे, पिछली सुनवाई मेें अदालत ने केंद्र ने नेशनल प्लान मांगा था। जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल। नागेश्वर की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है।

कोर्ट ने वरिष्ठ वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी बनाया था, हालांकि उन्होंने खुद को इस केस से अलग करने का अनुरोध किया था। SC ने उन्हें इसकी अनुमति दे दी थी।

इन 4 मुद्दों पर देना होगा नेशनल प्लान


- राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों में ऑक्सीजन सप्लाई की कमी बनी हुई है। इससे मरीजों की मौत हो रही है।

- पूरे देश में 1 मई से वैक्सीनेशन का तीसरा फेज शुरू हो रहा है, लेकिन राज्यों में वैक्सीन की किल्लत बनी हुई है।

- कोरोना के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं की हर राज्य में कमी है।

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लॉकडाउन लगाने का अधिकार कोर्ट के पास नहीं होना चाहिए। ये राज्य सरकार के अधीन हो।

सुनवाई की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि हमें लोगों की जिंदगियां बचाने की जरूरत है। जब भी हमें जरूरत महसूस होगी, हम दखल देंगे। कोर्ट ने कहा- राष्ट्रीय आपदा के समय हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते हैं। हमें हाईकोर्ट्स की मदद की जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं। इस मामले में हाईकोर्ट्स को भी अहम रोल निभाना है।

आपको बता दे, देश में कोरोना की दूसरी लहर कहर बनकर टूटी है। देश में बीते 24 घंटे में 3.19 लाख नए कोरोना संक्रमित मिले और 2,762 संक्रमितों की मौत हो गई। हालांकि राहत की बात है कि रिकॉर्ड 2.48 लाख मरीज ठीक भी हुए। संक्रमण को मात देने वालों का यह आंकड़ा अब तक सबसे ज्यादा है। एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी पर भी कुछ लगाम लगती दिखाई दे रही है। बीते दिन एक्टिव केस में सिर्फ 67,660 की बढ़त दर्ज की गई। यह पिछले 14 दिन में सबसे कम है। इससे पहले 12 अप्रैल को इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में 63,065 की वृद्धि हुई थी।