सुप्रीम कोर्ट Supreme Court बुधवार को केंद्र के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता Aadhaar constitutional validity को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने आधार को सुरक्षित और लोगों के लिए जरूरी बताया है। जस्टिस सीकरी ने इस मामले पर अपना फैसला पढ़ा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से पैन को जोड़ने का फैसला बरकरार रहेगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि बैंक खाते से आधार को जोड़ना अब जरूरी नहीं। आधार कार्ड पिछले कुछ साल में चर्चा का विषय बना है। जज ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने के समान है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि शिक्षा हमें अंगूठे से हस्ताक्षर की तरफ ले गई। जस्टिस सीकरी बोले कि आधार बनाने के लिए जो भी डेटा लिया जा रहा है वो काफी कम है, उसके मुकाबले जो इससे फायदा मिलता है वो काफी ज्यादा है आधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कई चीजें बदल जाएंगी। आगे जानें इनके बारे में।
मोबाइल नंबर लिंक करना गलत :सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करना गलत है। उसने इसे अंसवैधानिक करार दिया है। इसके बाद आपके लिए मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करना अनिवार्य नहीं रह जाएगा।
बैंक अकाउंट :अगर आप ने अपना बैंक अकाउंट अभी तक आधार से लिंक नहीं किया है, तो चैन की सांस लें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से पैन को जोड़ने का फैसला बरकरार रहेगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि बैंक खाते से आधार को जोड़ना अब जरूरी नहीं।
स्कूलों में आधार : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 6 से 14 साल के बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट बोले कि CBSE, NEET, UGC अगर आधार को जरूरी बनाते हैं तो ये गलत है वो ऐसा नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने स्कूलों में आधार की अनिवार्यता खत्म कर दी है।
इनके लिए जरूरी आधार :एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट ने कई चीजों को आधार से लिंक करना गलत बताया है। वहीं, उसने कुछ चीजों के लिए इसकी अनिवार्यत बरकरार रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैन कार्ड को आधार से लिंक करना जरूरी है।
यहां भी जरूरी :इसके अलावा उसने आय कर को भी आधार से लिंक करना सही बताया है। इसके साथ ही लाभकारी योजनाओं को भी आधार से लिंक करना जरूरी हो गया है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद 10 मई को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं। दरअसल, केंद्र ने आधार योजना का बचाव किया था कि जिनके पास आधार नहीं है उन्हें किसी भी लाभ से बाहर नहीं रखा जाएगा। आधार सुरक्षा के उल्लंघन के आरोपों पर केंद्र ने कहा कि डेटा सुरक्षित है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। केंद्र ने यह भी तर्क दिया कि आधार समाज के कमजोर और हाशिए वाले वर्गों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें बिचौलियों के बिना लाभ मिलते हैं और आधार ने सरकार के राजकोष में 55000 करोड़ रुपये बचाए हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंक करने का ऑप्शन खुला रहना चाहिए। इसके अलावा सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है।