बन कर तैयार हुई पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति 'टैच्यू ऑफ यूनिटी', 31 अक्‍टूबर को PM करेंगे उद्घाटन

गुजरात के नर्मदा ज़िले में सरदार सरोवर बांध के पास बनाई जा रही 182 मीटर ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल Sardar Vallabhbahi Patel की मूर्ति यानी 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी Statue Of Unity' बनकर लगभग तैयार है। इस स्टैच्यू को बनाने के लिए चार धातुओं का इस्तेमाल किया गया है और इसको बनाने में महज पांच साल लगे है। ऐसा दावा किया गया कि इसमें हज़ारों साल तक जंग नहीं लगेगी। दावा किया गया कि दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। इस का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को करेंगे।

क्‍या है खासियत

'स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी Statue Of Unity' को आर्किटेक्ट पद्मश्री राम सुतार और उनके बेटे ने मिलकर तैयार किया है। सरदार की इस प्रतिमा के साथ ही श्रेष्ठ 'भारत भवन' की भी शुरुआत की जाएगी। इस भवन में 50 से ज्यादा कमरे तैयार किए जाएंगे। इसके साथ ही इस जगह आने वाले पर्यटकों के लिए वैली भी तैयार की गई है। सुरक्षा, सफाई के साथ ही पटेल की प्रतिमा के पास फूड कोर्ट भी बनाया जा रहा है। दिलचस्प बात तो ये है कि स्टैच्यू के अंदर दो लिफ्ट रखी गई है। यह लिफ्ट स्टैच्यू में ऊपर तक ले जाएगी, जहां सरदार पटेल के दिल के पास एक गैलरी बनायी गई है। यहां से पर्यटकों को सरदार पटेल बांध और वैली का नजारा देखने को मिलेगा। दावा किया गया कि प्रतिमा को सात हिस्सों में तैयार किया गया है। इसके बाद उसे गुजरात लाकर स्थापित किया गया। बताया गया कि सरदार पटेल की ये मूर्ति 6.5 तीव्रता वाले भूकम्प को भी झेल सकती है।

दावा किया गया है कि 'स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी' इतनी शक्तिशाली है कि 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चलने वाला तूफ़ान भी इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा।

इस मूर्ति के निर्माण के लिए केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 में लार्सेन एंड टर्बो कंपनी को ठेका दिया गया। इस काम को तय समय में अंजाम तक पहुंचाने के लिए 4076 मजदूरों ने दो शिफ्टों में काम किया। इसमें 800 स्थानीय और 200 चीन से आए कारीगरों ने भी काम किया। इस मूर्ति से पटेल की वो सादगी भी झलकती है जिसमें सिलवटों वाला धोती-कुर्ता, बंडी और कंधे पर चादर उनकी पहचान थी। ये सब कुछ मूर्ति में ढल चुका है।

सरदार पटेल की शख्सियत में वो दम था कि उनको सम्मान से लौह पुरुष कहा जाता था। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के कोने कोने से लोहा मांगा था ताकि वो लोहा पटेल के सपनों को फौलादी बना दे। अब ये इत्तफाक है या कुछ और, लेकिन पटेल की मूर्ति का शिलान्यास भी तभी हुआ था, जब लोकसभा का चुनाव होने वाला था और उद्घाटन भी तभी होने जा रहा है, जब 2019 की चुनावी आहट देश सुनने लगा है।