श्रीनगर के सचिवालय पर अभी भी लगा हुआ है जम्मू-कश्मीर का झंडा, तस्वीरें

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अनुच्छेद 370 के एक खंड को छोड़कर बाकी सभी खंडों को समाप्त करने की अधिसूचना पर दस्तखत कर दिए है। संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यह फैसला लिया। इसके साथ ही मंगलवार से ही जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया। अब केंद्र सरकार के सारे कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे। जम्मू और कश्मीर में अब एक निशान, एक विधान लागू हो गया है। लेकिन अभी भी श्रीनगर स्थित सचिवालय पर भारत के राष्ट्रध्वज के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का झंडा भी लगा हुआ है।

समाचार एजेंसी ANI की ओर से जारी की गई तस्वीरों में यह स्पष्ट दिख रहा है कि श्रीनगर स्थित सचिवालय के प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ-साथ कश्मीर का झंडा लगा हुआ है। बता दें अब तक जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा और संविधान था जो कि अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद रद्द हो गया।

अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने से पहले भारत में सिर्फ जम्मू-कश्मीर को औपचारिक तौर पर देश के साथ अपना अलग झंडा फहराने की आजादी थी। कश्मीर के झंडे में गहरा लाल रंग श्रम का परिचायक था जिसके ऊपर बना हल कृषि का प्रतिनिधित्व करता था। इस पर बनी तीन धारियां प्रदेश के तीन भौगोलिक क्षेत्रों (जम्मू, कश्मीर और लद्दाख) को प्रदर्शित करती थीं।

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के विकास में तेजी लाने के लिए ये जरूरी कदम बताया जा रहा है।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब ऐसा होगा जम्मू-कश्मीर

बता दे, जम्मू कश्मीर राज्य में संविधान का अनुच्छेद-370 लागू था। इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था। यानी वहां राष्ट्रपति शासन नहीं, बल्कि राज्यपाल शासन लगता था। अब वहां राष्ट्रपति शासन लग सकेगा।भारतीय संविधान की धारा 360 के तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है। वो भी जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होता था। अब यहां वित्तीय आपातकाल लागू हो सकेगा।जम्मू कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था, जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। अनुच्छेद-370 हटने के बाद यहां भी विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का होगा।संविधान में वर्णित राज्य के नीति निदेशक तत्व भी यहां लागू नहीं होते थे। साथ ही कश्मीर में अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं मिलता था। गृहमंत्री ने अमित शाह ने कहा कि इस बिल के तहत जम्मू कश्मीर में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।यहां नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में अलग झंडा और अलग संविधान चलता है। जो अब छीन जाएगा। संसद में पास कानून जम्मू कश्मीर में तुरंत लागू नहीं होते थे। शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, मनी लांड्रिंग विरोधी कानून, कालाधन विरोधी कानून और भ्रष्टाचार विरोधी कानून कश्मीर में लागू नहीं था, जो अब लागू हो सकेगा।