मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस: फैसला सुनाने वाले NIA जज ने दिया इस्तीफा, खड़े हुए कई सवाल

हैदराबाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस का फैसला सुनाने वाले एनआईए के जज ने इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनआईए जज आर रेड्डी ने फैसला सुनाने के कुछ देर बाद ही ये फैसला लिया है। हालांकि बताया जा रहा है कि उन्होंने निजी कारणों के चलते इस्तीफा दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा आंध्र प्रधेश के मुख्य न्यायाधीश को सौंपा है। खबरों के मुताबिक इस्तीफा देने के बाद वे लंबी छुट्टी पर जाएंगे। उनके इस्तीफे की खबर फैलते ही एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जज का यह कदम संदेह पैदा करने वाला है। जज के इस्तीफे से आश्चर्यचकित हैं।

बता दें कि कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में असीमानंद मुख्य आरोपी थे। इस मामले में एनआईए ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले को पढ़ेंगे और उसके बाद आगे की कार्रवाई तय करेंगे।

NIA की विशेष अदालत से मक्का मस्जिद में विस्फोट मामले के पांचों आरोपियों के बरी हो जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाए। भाजपा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 'भगवा आतंकवाद' के जरिए देश के करोड़ों हिंदुओं का अपमान किया और इसके लिए कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष और वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए। भाजपा ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं करती लेकिन कांग्रेस पार्टी ने एनआईए की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि एजेंसियों की जांच पर जो एक भरोसा था, वह खत्म होता जा रहा है।

भाजपा प्रवक्ता संवित पात्रा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'कांग्रेस आज कोर्ट के फैसले पर सवाल उठा रही है लेकिन 2जी घोटाला पर कोर्ट का फैसला उसके लिए ठीक था। मैं पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस का यह दोहरा रवैया क्यों है।'

बता दें कि इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। मामले में 10 आरोपियों में से आठ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी जिसमें नबा कुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद का नाम भी शामिल है। जिन 8 लोगों के खिलाफ चार्जशीट बनाई गई थी उसमें से स्वामी असीमानंद और भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भरत भाई जमानत पर बाहर हैं और तीन लोग जेल में बंद हैं। एक आरोपी सुनील जोशी की जांच के दौरान हत्या कर दी गई थी।

दो और आरोपी संदीप वी डांगे और रामचंद्र कलसंग्रा के बारे में मीडिया रिपोर्टस में दावा किया गया है कि उनकी भी हत्या कर दी गई है। ब्लास्ट मामले में सीबीआई ने सबसे पहले 2010 में असीमानंद को गिरफ्तार किया था लेकिन 2017 में उन्हें सशर्त जमानत मिल गई थी। उन्हें 2014 के समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में भी जमानत मिल गई थी।

बता दें कि जांच के दौरान असीमानंद ने कई बार अपने बयान बदले थे। उन्होंने पहले आरोपों को स्वीकार किया था और बाद में साजिश रचने की भूमिका में शामिल होने से इनकार कर दिया था। गौरतलब है कि 18 मई 2007 को दोपहर 1 बजकर 27 मिनट पर प्रार्थना के दौरान धमाका हुआ था जिसमें 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी और 4 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे, बाद में ये चारों लोग भी जिंदगी से जंग हार गये थे।

मस्जिद में धमाके के समय वहां 10 हजार लोग मौजूद थे। वहां दो जिंदा बम भी बरामद हुए थे जिसे हैदराबाद पुलिस ने निष्क्रिय कर दिया था। बाद में इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था लेकिन फिर यह मामला NIA के पास चला गया। एजेंसी ने 226 अभियोजन पक्ष के गवाहों को सूचीबद्ध किया था जिसमें से 64 बदल गए थे।