रिसर्च : कोरोना से बचना हैं तो चलें तेज, धीमी गति बन सकती है आपके लिए घातक

कोरोना संक्रमितों के बढ़ते आंकड़े चिंता बढ़ाने का काम कर रहे हैं. कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी डराने वाला हैं। ऐसे में सभी प्रयास करते हैं कि कोरोना से बचा जाए और हो जाए तो इससे लड़ाई में सफलता प्राप्त की जाए। इसको लेकर हाल ही में एक रिसर्च सामने आई हैं जिसके अनुसार धीमी गति से चलने वालों को कोरोना से मौत का ज्यादा खतरा होता है। ये रिसर्च ब्रिटेन के शोधकर्ताओं द्वारा यूके बायोबैंक डाटा का उपयोग करते हुए किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि सामान्य वजन वाले धीमी गति से चलने वालों को मृत्यु का अधिक खतरा होता है। वहीं सामान्य वजन वाले धीमी गति से चलने वालों की तुलना में मोटे और तेज गति से चलने वाले लोगों को कोरोना का कम खतरा होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह इसलिए है क्योंकि तेज गति से चलने वालों का हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी सिस्टम सही से काम करता है।

जो लोग धीरे-धीरे चलते हैं, उन्हें कोरोना वायरस से मौत का चार गुना अधिक खतरा होता है, एक नए अध्ययन के आधार पर यह चेतावनी जारी की गई है। लीसेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 4,12,596 मध्यम आयु वर्ग के यूके बायोबैंक प्रतिभागियों के बॉडी मास, चलने की गति और कोविड -19 के बीच संबंधित कड़ा का अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि धीरे-धीरे चलने वाले समान्य वजन के लोगों में कोविड -19 के विकसित होने की संभावना सामान्य वजन के तेजी से चलने वालों की तुलना में 2.5 गुना अधिक होती है। उन्होंने यह भी पाया कि कोरोना वायरस, जिसने दुनिया के अधिकांश हिस्सों को लॉकडाउन में डाल दिया और लाखों लोगों की मौत हो गई, धीमी गति से चलने वाले लोगों की मौत तेज गति से चलने वालों की तुलना में 3.75 गुना अधिक थी।

अध्ययन के लिए, धीमी गति से चलने वाले को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया, जो प्रति घंटे तीन मील की दूरी तय किया हो, जबकि एक तेज गति वाले को ऐसे व्यक्ति के रूप में जो प्रति घंटे चार मील से अधिक दूरी तय किया हो। हालांकि निष्कर्षों का कारण स्पष्ट नहीं है, शोधकर्ताओं का सुझाव है कि तेजी से चलने वालों में उनके वजन की परवाह किए बिना एक स्वस्थ हृदय प्रणाली विकसित हो सकती है।